उत्तराखंड का इतिहास

  1. Uttarakhand Foundation Day 2022: कैसे हुआ उत्तराखंड का उद्भव! जानें इसका इतिहास, उत्सव एवं महत्व!
  2. उत्तराखंड का इतिहास
  3. उत्तराखण्ड में ब्रिटिश शासन का इतिहास (British rule in Uttarakhand)
  4. उत्तराखंड का नक्शा
  5. उत्तराखंड का इतिहास : समझें सभी ऐतिहासिक घटनाओं को आसानी से
  6. क्या हैं उत्तरकाशी जिले का इतिहास
  7. उत्तराखंड का इतिहास History Of Uttarakhand...


Download: उत्तराखंड का इतिहास
Size: 43.5 MB

Uttarakhand Foundation Day 2022: कैसे हुआ उत्तराखंड का उद्भव! जानें इसका इतिहास, उत्सव एवं महत्व!

Uttarakhand Foundation Day 2022: कैसे हुआ उत्तराखंड का उद्भव! जानें इसका इतिहास, उत्सव एवं महत्व! देश के खूबसूरत प्रदेशों में एक है उत्तराखंड, जिस पर सही मायने में प्रकृति की विशेष कृपा बरसती है. हिमालय की गोद में बसे, पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, चीड़ के वृक्षों, झीलों, जल प्रपातों, प्राचीन कंदराओं और रंग-बिरंगे फूलों से अटे-पटे इस पर्वतीय राज्य का स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को मनाया जाता है. देश के खूबसूरत प्रदेशों में एक है उत्तराखंड, जिस पर सही मायने में प्रकृति की विशेष कृपा बरसती है. हिमालय की गोद में बसे, पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, चीड़ के वृक्षों, झीलों, जल प्रपातों, प्राचीन कंदराओं और रंग-बिरंगे फूलों से अटे-पटे इस पर्वतीय राज्य का स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को मनाया जाता है. इस वर्ष अपना 22 वां जन्मदिन मनाने जा रहे उत्तराखंड राज्य के बारे में जानें इसका महत्व, इतिहास, उद्देश्य एवं उत्सव के बारे में विस्तार से... उत्तराखंड दिवस का इतिहास उत्तराखंड वास्तव में संस्कृत से उद्धृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'उत्तरी शहर'. दरअसल साल 1950 में भारत का संविधान लागू होने के बाद संयुक्त प्रांत को उत्तर प्रदेश का नाम दिया गया था. जनसंख्या की दृष्टि से यह देश का सबसे बड़ा प्रदेश था. शायद इन्हीं वजहों से प्रदेश सरकार राज्य के निवासियों की तमाम मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति को सुचारु नहीं कर पा रही थी. तमाम संसाधनों उपलब्ध होने के बावजूद राज्य में गरीबी, बेरोजगारी, आवश्यक संसाधनों का अभाव बना रहता था. इन समस्याओं से निपटने के लिए उत्तराखंड क्रांति दल का गठन हुआ. पर्वतीय क्षेत्र वासियों की चुनौतियों एवं मूलभूत आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए इसे उत्तर प्रदेश से...

उत्तराखंड का इतिहास

उत्तराखंड का इतिहास की जानकारी – Uttarakhand ka itihas in hindi उत्तराखंड का इतिहास की बात करें तो इस क्षेत्र का इतिहास वैदिककालीन है। हिमालय की तराई में बसा उत्तराखंड का प्राकृतिक सौंदर्य बहुत सुंदर है। यहाँ के खूबसूरत पहाड़, घाटियां, इस स्थल को और भी मनोरम बनाती है। इस प्रदेश का पर्यटन के दृष्टि के साथ-साथ अध्यातम की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस राज्य की जितनी तारीफ की जाय कम हैं। उत्तराखंड की खूबसूरती को शब्दों की सीमा में नहीं बांधा जा सकता। यहाँ बहने वाली गंगा और यमुना करोड़ों भारतीय के आस्था का प्रतीक है। इस लेख में उत्तराखंड का इतिहास ( Uttarakhand ka itihas in hindi ) का विस्तार संक्षेप में वर्णन करने की कोसिस किया गया है। यमुना नदी के बारे में जानकारी ( उत्तराखंड का इतिहास की जानकारी – Uttarakhand ka itihas in hindi उत्तराखंड में पर्यटन की संभावनाओं का और भी तेजी से विकास हुआ है। राज्य और केंद्र सरकार दोनों मिलकर यहाँ के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। उत्तराखंड का इतिहास इन इंदी – Uttarakhand history in hindi उत्तराखंड का इतिहास अति पौराणिक माना जाता है। इस भूमि पर देवताओं ने जनकल्याण हेतु अवतरित लिए। आईए इस लेख में उत्तराखंड का इतिहास को संक्षेप में जानने की कोसिस करते हैं। उत्तराखंड का प्राचीन इतिहास – Uttarakhand ka prachin itihas इतिहासकार मानते है की यह प्रदेश हूण, शक, नाग, खस आदि जातियाँ का निवास स्थल रहा है। इस प्रदेश के गुफाओं में अंकित भीती चित्र, इनके कुछ स्थलों पर हुई खुदाई से प्राप्त हजारों साल पुरानी नर कंकाल, मिट्टी के बर्तन, धातुओं के टुकड़े प्रागैतिहासिक काल की तरफ इशारा करती है। उत्तराखंड का आध्यात्मिक इतिहास इस प्रदेश का इतिहा...

उत्तराखण्ड में ब्रिटिश शासन का इतिहास (British rule in Uttarakhand)

Table of Contents • • • • • उत्तराखण्ड में ब्रिटिश आगमन के उद्देश्य एवं पृष्ठभूमि उत्तराखण्ड में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के आगमन को उसके औपनिवेशिक और अन्वेषी नजरिये के आधार पर व्यापक परिदृश्य में देखने के प्रयास किए गए हैं। विभिन्न यूरोपीय यात्रियों जैसे देसीदेरी, मूरक्राफ्ट, कैप्टन हियरसे, फेजर आदि के विवरणों तथा अन्य उपलब्ध साक्ष्यों के आधार शेखर पाठक ने 18वीं – 19वीं शताब्दी को हिमालय के संदर्भ में युगान्तरकारी बताते हुए कम्पनी के हिमालय आकर्षण तथा उत्तराखण्ड में घुसपैठ के प्रमुख उद्देश्यों को इस प्रकार चिह्नित किया है – 1. ईसाई धर्म का प्रसार 2. कम्पनी तथा इंग्लैंड की औद्योगिक जरूरतों हेतु कच्ची सामग्री तथा बाजार ढूढना 3. नेपाल युद्ध के बाद सैन्य जातियों की खोज 4. हिमालय में छोटा इंग्लैंड बनाने का स्वप्न 5. नेपोलियन के कारण संभावित खतरे का क्षेत्र पश्चिमी हिमालय और काराकोरम होना 6. गोरखों के प्रति कुमाऊँ गढ़वाल तथा हिमाचल में मौजूद असन्तोष और गोरखों द्वारा बार बार कम्पनी क्षेत्र में घुसपैठ 7. उत्तराखण्ड की वन संपदा जिसमें कम्पनी को पर्याप्त लाभ प्राप्त होने की संभावना थी। उत्तराखंड का प्रशासनिक पुनर्गठन – (ब्रिटिश कुमाऊँ, गढ़वाल) 1815 में गोरखोंको पराजित करने के उपरान्त कम्पनी ने सिगौली की संधि से कुमाऊँ तथा गढ़वाल को ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा शासित क्षेत्र के अन्तर्गत ले लिया गया ओर एक पृथक प्रशासनिक इकाई के रूप में कुमाऊँ कमिश्नरी का गठन हुआ। वर्तमान देहरादून जिले का भू-भाग मेरठ कमिश्नरी के अन्तर्गत सहारनपुर जिले से संयुक्त किया गया। मन्दाकिनी और अलकनन्दा का पश्चिमी भाग (वर्तमान उत्तरकाशी और टिहरी जिले) राजा सुदर्शनशाह को दिया गया। राजा ने भागीरथी और भिलंगना नदियों के ब...

उत्तराखंड का नक्शा

उत्तराखंड के महत्वपूर्ण तथ्य राज्यपाल कृष्णकांत पॉल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (भारतीय जनता पार्टी) आधिकारिक वेबसाइट www.uk.gov.in स्थापना का दिन 9 नवम्बर 2000 क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किमी घनत्व 189 प्रति वर्ग किमी जनसंख्या (2011) 10,086,292 पुरुषों की जनसंख्या (2011) 5,137,773 महिलाओं की जनसंख्या (2011) 4,948,519 जिले 13 राजधानी देहरादून नदियाँ गंगा, सरयू, अलकनंदा, भागीरथी, धौलीगंगा, रामगंगा, आसन बैराज आदि वन एवं राष्ट्रीय उद्यान राजाजी राष्ट्रीय पार्क, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान भाषाएँ गढ़वाली, कुमाऊंनी, हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश राजकीय पशु कस्तूरी मृग राजकीय पक्षी हिमालयी मोनल राजकीय वृक्ष बुरांस राजकीय फूल ब्रह्म कमल नेट राज्य घरेलू उत्पाद (2011) 36368 साक्षरता दर (2011) 86.27% 1000 पुरुषों पर महिलायें 963 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 70 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र 5 उत्तराखंड के बारे में उत्तराखंड में कई धार्मिक स्थानों और पूजन स्थल होने के कारण इस उत्तराखंड को ‘देव भूमि’ या ‘भगवान की भूमि’ भी कहा जाता है। इसे भक्ति और तीर्थयात्रा के लिए सबसे पवित्र और अनुकूल स्थान माना जाता है। सन् 2007 में इस राज्य का नाम आधिकारिक रुप से उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया था। देहरादून राज्य की राजधानी है और उत्तराखंड का सबसे बड़ा शहर है। उत्तराखंड की हाई कोर्ट नैनीताल में है जो राज्य का एक और महत्वपूर्ण शहर है। हस्तशिल्प और हथकरघा राज्य के दो प्रमुख उद्योग हैं। यह चिपको आंदोलन की उत्पत्ति के लिए भी मशहूर हैं। 9 नवंबर 2000 में एक अलग औपचारिक राज्य बनने के बाद यह अपने आप में पूर्ण राज्य बन गया। इस प्रदेश का निर्म...

उत्तराखंड का इतिहास : समझें सभी ऐतिहासिक घटनाओं को आसानी से

हिमालय की गोद में स्थित उत्तराखंड की भूमि अनादि काल से ही अनेकों रोचक और आश्चर्यजनक घटनाओं की गवाह रही है। विभिन्न कालखंडो में देवताओं, ऋषि मुनियों और मानव जाति की गतिविधियों के परिणामस्वरूप आधुनिक उत्तराखंड का सृजन हुआ। इन गतिविधियों और घटनाओं को हम उत्तराखंड के इतिहास के माध्यम से समझते सकते हैं। उत्तराखंड के इतिहास को जानने से पहले नज़र डालते हैं उत्तराखंड राज्य के संक्षिप्त परिचय पर …. - Advertisement - उत्तराखंड का परिचय भारत का उत्तरी राज्य ‘उत्तराखंड’ संस्कृत के शब्दों ‘उत्तर’ और ‘खण्ड’ से मिलकर बना है। जिसका मतलब है ‘उत्तर में स्थित भूमि’ यानी उत्तराखंड। उत्तराखंड की भूमि में अति प्राचीन काल से ही देवी देवताओं का निवास होने के कारण इसे ‘देवभूमि’ भी कहा जाता है। 9 नवम्बर 2000 को भारत के सत्ताइसवें राज्य के रूप में उत्तराखंड (उत्तरांचल) का सृजन हुआ। सन 2000 से 2006 तक यह ‘उत्तरांचल’ के नाम से जाना जाता था। 1 जनवरी सन 2007 को उत्तराँचल का नाम ‘उत्तराखंड’ किया गया। प्रशासन की दृष्टि से राज्य को दो मंडलों गढ़वाल और कुमाऊँ मंडल में बांटा गया है। राज्य में कुल 13 जिले हैं जिसमें से 6 कुमाऊँ और 7 जिले गढ़वाल मंडल में स्थित हैं। राज्य का कुल क्षेत्रफल 53483 वर्ग किमी है। राज्य में कुल 5 लोकसभा और 71 विधानसभा शीट हैं। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित है। ‘गैरसैण’ उत्तराखंड राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी स्थित है। ‘गैरसैंण’उत्तराखंड के चमोली जिले में राजधानी देहरादून करीब 260 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उत्तराखंड का इतिहास उत्तरखण्ड का इतिहास अत्यधिक प्राचीन है। यहाँ से प्राप्त पुरातात्विक अवशेष इस बात का प्रमाण हैं कि इस क्षेत्र में पाषाण। काल से ही सभ्यताओं का विकास...

क्या हैं उत्तरकाशी जिले का इतिहास

अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए हमसे जुड़े - History of Uttarkashi in Hindi : उत्तराखंड का एक जिला उत्तरकाशी है। इसका इतिहास काफी पुराना है। यह जिला 24 फरवरी 1960 को अस्तित्व में आया। तब देवभूमि उत्तराखंड का नाम उत्तरांचल था और यह उत्तरप्रदेश का हिस्सा था। उत्तरकाशी भारतीयों के लिए सदियों से महत्वपूर्ण रहा है। यह धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है। यहां पर अनेक देशों ने अनेक प्रकार की खोज की है। कहा जाता है कि वैदिक बोली यही की भाषा है। वैदिक बोली और प्रवचन सीखने के लिए दूर दूर से लोग यहां आया करते थे। महाभारत में बताया गया है कि भारत में उत्तरकाशी में एक दर्शन था और स्कंद पुराण के केदारखंड में भी उत्तरकाशी और भागीरथी नदी, जानवी और भील गंगा का भी उल्लेख देखने को मिलता है। पहले उत्तरकाशी का यह क्षेत्र व्यापार समृद्ध था। कहा जाता है कि भारत और तिब्बत के बीच व्यापार करने के लिए यह प्राथमिक व्यवसाय क्षेत्र वाला शहर था। शोधकर्ताओं का कहना है कि उत्तरकाशी का पुराना नाम बराह पुरातन त्रिशूल से हुआ था और यह बराह शब्द बराह का एक अवगुण है। उत्तरकाशी का संबंध पवार राजाओं से संबंधित रह चुका है। चाल या पवार प्रशासन के प्रवर्तक कनक पाल थे, जो 9वीं शताब्दी में उत्तराखंड आए थे। यह महाराष्ट्र से आए थे। बताया जाता है कि कनक पाल चांदपुर गढ़ी के प्रमुख भानु प्रताप की छोटी लड़की से शादी किए थे। राजा अजय पाल टनकपुर से रिश्तेदार बताए जाते हैं। जिन्होंने 16 वीं शताब्दी में गढ़वाल में मौजूद बराहों सरदारों को कुचरनी और परिवारों की गुणवत्ता को स्थापित की थी। बताया जाता है कि गढ़वाल स्वायत्तशासी राज्य था जिस पर दिल्ली के मुगलों का कोई प्रभाव नहीं था। 17 वी शताब्दी हमें कुछ समय बड़ी को शाह में बदल दि...

उत्तराखंड का इतिहास History Of Uttarakhand...

उत्तराखंड का इतिहास History Of Uttarakhand उत्तराखंड का शाब्दिक अर्थ उत्तरी भू-भाग का रूपांतर हैं| इस नाम का उल्लेख प्रारम्भिक हिन्दू ग्रन्थों से मिलता हैं, जहाँ कुमाऊँ को मानसखंड तथा गढ़वाल को केदारखंड के नाम से जाना जाता हैं |उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता हैं, क्योंकि यह क्षेत्र धर्मस्थल और देवीशाक्तियों की भूमि मानी जाती हैं , उत्तराखंड में पारव,कुषाण ,गुप्त ,कत्यूरी, पाल, चंद व् पवांर राजवंश और अंग्रेजों ने बारी- बारी से शासन किया था| आधिकारिक तौर पर उत्तराखंड राज्य, जिसे पहले उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था, भारत के उत्तरी हिस्से में एक राज्य है। इसे अक्सर देवभूमि( शाब्दिक रूप से “देवताओं की भूमि”) के रूप में जाना जाता है| पूरे राज्य में बड़ी संख्या में हिंदू मंदिरों और तीर्थ केंद्रों के कारण। उत्तराखंड हिमालय, भाभार और तेराई के प्राकृतिक पर्यावरण के लिए जाना जाता है। पौराणिक इतिहास के अनुसार – पौराणिक ग्रन्थों में कुर्मांचल क्षेत्र मानसखंड के नाम से प्रसिद्ध था| पौराणिक ग्रन्थों में उत्तरी हिमालय में सिद्ध गन्धर्व,यक्ष,किन्नर,जातियों की सृष्टि का राजा कुबेर बताया गया हैं कुबेर की राजधानी कुबेर के आश्रम में ऋषि मुनि तप व् साधना करते थे| अंग्रेज इतिहासकरों के अनुसार हुण,शक,नाग,खस,आदि जातियां भी हिमालय क्षेत्र में निवास करती थी| पौराणिक ग्रंथो में केदार खंड व् मानस खंड के नाम से इस क्षेत्र का ब्यापक उल्लेख हैं| इस क्षेत्र को देवभूमि व् तपोभूमि माना जाता हैं| मानस खंड का कुर्मांचल व् कुमाऊँ नाम चन्द राजाओ के शासन काल से प्रचलित हुई कुमाऊँ पर चंद राजाओं का शासन कत्यूरियो के बाद प्रारम्भ होकर सन 1790 तक रहा| सन 1790 में नेपाल की गोरखा सेना ने कुमाऊँ पर आक्रमण...