श्री गणेश

  1. गणेश
  2. संकटनाशन गणेश स्तोत्र
  3. ॥ श्री गणेशाय नमः ॥
  4. Ganesh Chalisa
  5. श्री गणेश स्तुति
  6. Ganesh Stuti


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गणेश

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संकटनाशन गणेश स्तोत्र

Read in English नारद पुराण से उद्धरित श्री गणेश का लोकप्रिय संकटनाशन स्तोत्र, मुनि श्रेष्ठ श्री नारद जी द्वारा कहा गया है। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के जीवन के संकट मिट जाते हैं। अतः इस स्तोत्र को श्री संकटनाशन स्तोत्र अथवा सङ्कटनाशन गणपति स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है। ॥ श्री गणेशायनमः ॥ नारद उवाच - प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम । भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥ प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम । तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥ लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥ नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥ द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: । न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥ विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् । पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥ जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् । संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥ अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत । तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥ ॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ॥

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

ND गणपति विघ्नहर्ता हैं, इसलिए नौटंकी से लेकर विवाह की एवं गृह प्रवेश जैसी समस्त विधियों के प्रारंभ में गणेश पूजन किया जाता है। 'पत्र अथवा अन्य कुछ लिखते समय सर्वप्रथम॥ श्री गणेशाय नमः॥, ॥श्री सरस्वत्यै नमः ॥,॥श्री गुरुभ्यो नमः ॥ ऐसा लिखने की प्राचीन पद्धति थी। ऐसा ही क्रम क्यों बना? किसी भी विषय का ज्ञान प्रथम बुद्धि द्वारा ही होता है व गणपति बुद्धि दाता हैं, इसलिए प्रथम '॥ श्री गणेशाय नमः ॥' लिखना चाहिए। बुद्धि जो ज्ञान ग्रहण किया गया हो उसे शब्दबद्ध करना सरस्वती का कार्य है। सरस्वती को ज्ञानदेव ने 'अभिनव वाग्लिसिनी' कहा है। श्री समर्थ ने कहा है, 'शब्द मूळ वाग्देवता, अर्थ : शब्दों के मूल के देवता'; इसलिए दूसरा क्रमांक श्री सरस्वती को दिया। गुरु ही ज्ञान को ग्रहण करने का व उसे शब्दबद्ध करने का माध्यम बनते हैं; इसलिए गुरु को तीसरा क्रमांक दिया गया है। महाभारत लिखने के लिए महर्षि व्यास को एक बुद्धिमान लेखक की आवश्यकता थी। यह कार्य करने के लिए उन्होंने गणपति से ही प्रार्थना की थी। Pitro ki shanti ke upay : हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास हिंदू वर्ष का चौथा महीना होता है। आषाढ़ माह की अमावस्या के दिन का बहुत महत्व माना गया है। इस हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं। इसके बाद गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ हो जाता है। इस अमावस्या को दान-पुण्य और पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले तर्पण के लिए बहुत ही उत्तम एवं विशेष फलदायी माना गया है। Vastu tips fro shoe and slipper: पहले के जमाने में लोग अपने जूते चप्पल घर के बाहर उतारक ही घर में जाते थे। घर में सभी बगैर चप्पल के रहते थे। परंतु आजकल कई लोग घर में चप्पल पहनकर रहते हैं। कुछ लोग तो घर में ही ही बाहर के जूते पहनकर आ जाते हैं। ऐसे में य...

Ganesh Chalisa

Ganesh Chalisa in Hindi Lyrics श्री गणेश चालीसा ।। दोहा ।। जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल । विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ।। ।। चौपाई ।। जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभः काजू ।। जै गजबदन सदन सुखदाता । विश्व विनायका बुद्धि विधाता ।। वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना । तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ।। राजत मणि मुक्तन उर माला । स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ।। पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ।। सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ।। धनि शिव सुवन षडानन भ्राता । गौरी लालन विश्व-विख्याता ।। ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे । मुषक वाहन सोहत द्वारे ।। कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी । अति शुची पावन मंगलकारी ।। एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ।। भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ।। अतिथि जानी के गौरी सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ।। अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ।। मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला । बिना गर्भ धारण यहि काला ।। गणनायक गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम रूप भगवाना ।। अस कही अन्तर्धान रूप हवै । पालना पर बालक स्वरूप हवै ।। बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना । लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ।। सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ।। शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ।। लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ।। निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ।। गिरिजा कछु मन भेद बढायो । उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ।। कहत लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ।। नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहयऊ ।। पदत...

श्री गणेश स्तुति

ॐ गणांना त्वा गणपतिं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तम् जेष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पतआ नः शृण्वत्रूतिभिः सीद सादनम् || (ऋग्वेद) ॐ गणांना त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे निधिनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम आह्मजानि गर्भधमात्वमजासि गर्भधम् || (शुक्लयजुवेद) ॐ नमो गणेभ्यो गणपतिभ्यश्र्चवो नमो नमो व्रातेभ्यो व्रातपतिभ्यश्र्चवो नमो नमो विरूपेभ्यो विरूपेभ्यश्र्चवो नमः || (यजुवेद) गुणातीतमानं चिदानंदरुपम् | चिदाभासकं सर्वगं ज्ञानगम्यम् | मुनिश्रेष्ठमाकाशरूपं परेशम् | परब्रह्मरूपं गणेशं भजेम || एकदन्तं शूर्पकर्ण गजवक्त्र चतुभूर्जम् | पाशांकुशधरं देवं ध्यायेत सिद्धीविनायकम् || गजवदनम चिन्त्य तीष्णदंष्ट्रम त्रीनेत्रम् | बृहदुदरमशेशं भूतराजं पुराणम् | अमरवरसुपूज्यं रक्तवर्ण सुरेशम् | पशुपतिसुतमीशं विघ्नराजं नमामि ||

Ganesh Stuti

Ganesh Stuti in English Lyrics Gaiye Ganpati Jagvandan Shankar suvan Bhavani Ke Nandan Gaiye Ganpati Jagvandan Shiddhi Sadan Gaj Vadan Vinayak Kripa sindhu sundar sab layak Gaiye Ganpati Jagvandan Modak priya mrud mangal data Vidya vardhi buddhi vidhata Gaiye Ganpati Jagvandan Mangat tulsi das kar zore Bashin raaam siya manas more Gaiye Ganpati Jagvandan Ganesh Stuti English Meaning Sing the praises of Ganpati (Lord Ganesha), who is praiseworthy by the entire world. He is Son of Goddess Paravati and God Shiva. He is the residence of triumph (siddhi) with a beautiful elephant face, the destroyer of obstacles, and the repository of kindness. His kindness is helpful for everyone. He loves Modak (a kind of sweet), he gives joy and auspiciousness, He is the creator of intelligence, and an ocean of skill and knowledge. Tulsidas requests with hands held together for “Lord Rama and Sita Mta” to reside in his mind for ever. Ganesh Stuti Hindi Meaning श्री गणेश स्तुति का हिंदी अर्थ गणपति (भगवान गणेश) की प्रशंसा गाओ, जो पूरे विश्व के प्रशंसनीय है। वह देवी पारवती और शिवजी के पुत्र है। सिद्धि जिनके यहाँ निवास करती है , जिनका एक सुंदर हाथी का चेहरा हैं, जो बाधाओं का नाश करने वाले और दयालुता का भंडार है। जिनकी दयालुता सभी के लिए है , जिनको मोदक प्रिय है, जो बुद्धि के दाता है और कौशल और ज्ञान का एक महासागर है। तुलसीदास दोनों हाथ जोड़कर उनसे विनती करता है की उनकी कृपा से श्री राम भगवान और सीता माता सदैव उसके मस्तिष्क मैं वास करे । Benefits of Ganesh Stuti श्री गणेश स्तुति के लाभ Chanting of...