संत रामपाल जी महाराज के शब्द

  1. Sat Sahib Hindi Meaning: संत रामपाल जी के अनुयायी सतसाहेब क्यों बोलते हैं ?
  2. 17 फरवरी को ही क्यों मनाया जाता है संत रामपाल जी महाराज का Bodh Diwas. जाने बोध दिवस से जुड़ी पूरी जानकारी
  3. Sant Rampal Ji Maharaj Naam Diksha: कैसे ले, यह सबसे आसान तरीका


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Sat Sahib Hindi Meaning: संत रामपाल जी के अनुयायी सतसाहेब क्यों बोलते हैं ?

Table of Contents • • • • • • • सत साहेब क्या है? जिस प्रकार हम राम-राम कहते हैं उसी प्रकार सत साहेब कहा जाता है। सत साहेब कोई जाप करने का मंत्र नहीं है अपितु एक कोड वर्ड (गुप्त शब्द) है जिससे परमात्मा की याद बनी रहती है। इससे यह भाव बना रहता है कि मनुष्य तो कर्म जाल में फंसा हुआ है, सच्चा तो केवल परमात्मा है जिसको पाना ही मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य है। Sat Sahib Hindi Meaning (सत साहेब का अर्थ क्या है)? पूर्ण परमात्मा के कई उपमात्मक नाम वेद, गीता, बाईबल और कुरान में बताए गये हैं। • कहीं पर उन्हें ( पूर्ण परमात्मा ) दिव्य पुरूष • तो कहीं सच्चा साहेब • परमेश्वर • ईश्वर • भगवान • रब • आदिपुरुष • अकालमूर्त • शब्द स्वरूपी राम • अल्लाह • गाॅड • लार्ड आदि आदि संज्ञा प्रदान की गई है। Kabir Saheb Ji is the Supreme God.He is Allah/Rab/Khuda/Bhagvan . In Quran Shreef Surat Furqani 25 Aayat No. 52 to 59 it is cleared that Who created all in six days and sat on throne on 7th days is the Supreme God Kabir and only He is worthy to be worshipped. ■ सत साहेब दो शब्दों का जोड़ है जिसका शाब्दिक अर्थ है: • सत :- सच्चा , अविनाशी • साहेब :- परमात्मा , मालिक इस प्रकार इसका अर्थ है अविनाशी मालिक यानि सच्चा परमात्मा जो जीव आत्मा का सच्चा साथी है जिसने इस सृष्टि की रचना की। इसके इलावा सब भाई बन्धु तथा अन्य सब सामाजिक रिश्ते मिथ्या हैं। अविनाशी तो केवल पूर्ण ब्रह्म परमात्मा है। एक अन्य अर्थ के अनुसार सत का अर्थ कभी नाश न होने वाला अविनाशी परमात्मा भी है। सत साहेब क्यों बोलते हैं? सत साहेब का संबोधन हमें पूर्ण परमात्मा की तरफ इशारा करता है। यदि पूर्ण संत का साधक सत साहेब कहता है तो उसकी सुरति ( ध्य...

17 फरवरी को ही क्यों मनाया जाता है संत रामपाल जी महाराज का Bodh Diwas. जाने बोध दिवस से जुड़ी पूरी जानकारी

संत रामपाल जी महाराज ने 17 फरवरी 1988 को 37 वर्ष की आयु में फाल्गुन मास की अमावस्या को स्वामी रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा प्राप्त की। सतगुरु रामपाल जी महाराज ने नाम उपदेश प्राप्त कर अपने सतगुरु स्वामी रामदेवानंद जी द्वारा बताए गए भक्ति मार्ग में तन-मन से स्वयं को समर्पित कर दिया तथा साधना की और पूर्ण परमात्मा का साक्षात्कार किया। दोस्तों वहीं आज के मॉडर्न जमाने में जब भी किसी व्यक्ति का जन्मदिन मनाया जाता है तो केक काटने के साथ-साथ पार्टी का आयोजन भी किया जाता है। हर कोई उसे जन्मदिन की मुबारकबाद देता है लेकिन हम बिना ज्ञान के यह भूल जाते हैं कि यह मृत्यु लोक है। दोस्तों यह मनुष्य जीवन बहुत ही अनमोल है इस जन्म में ही व्यक्ति भगवान का भजन करके इस मृत्युलोक से छुटकारा पा सकता है। उदाहरण के लिए एक आदमी की पत्नी को शादी के दस साल बाद एक बेटे ने जन्म लिया। उसने बच्चा पैदा होने की खुशी में लड्डू बांटे और साथ ही बैंड-बाजे बजाए। अगले वर्ष उनके जन्मदिन पर उनका मृत्यु हो गई। कहां तो उसके जन्मदिन की तैयारी हो रही थी लेकिन कहां रोना पीटना शुरू हो गया। घर नर्क समान बन गया है। क्या अब वह व्यक्ति खुशियां मना सकता है। संत नानकदेव जी आगे कहते हैं कि उदाहरण: एक दिन एक सेठ एक पूर्ण संत के आश्रम में गया। संत की कृपा से उसे अच्छा लाभ हुआ। वह सेठ एक संत के आश्रम में बहुत सारे सेब-संतरे और केले लेकर गया। संत ने वह फल प्रसाद वाले एक टोकरे में रख दिए। दो दिन बाद जब सेठ गया तो टोकरा फलों से भरा हुआ रखा था। बस कुछ ही प्रसाद संत द्वारा भक्तों को वितरित किए गया। कुछ भक्तों ने फल का प्रसाद लाकर टोकरे में रख दिया। सेठ ने दो दिन बाद आकर देखा और संत से कहा कि महाराज! आप यह फल क्यों नहीं खाते? संत ने कहा कि...

Sant Rampal Ji Maharaj Naam Diksha: कैसे ले, यह सबसे आसान तरीका

Sant Rampal Ji Maharaj Naam Diksha: कहते हैं गुरु स्वयं परमात्मा होते हैं और गुरु ही भगवान से मिलाने वाला माध्यम होता है आज हम आपको सच्चे गुरु की महिमा, सच्चे गुरु का प्रमाण, गुरु कैसा होना चाहिए, नामदीक्षा लेना क्या होता है? नामदीक्षा क्यो लेनी चाहिए?, किस्से नाम दीक्षा लेवे?, नाम दीक्षा का महत्व?, संत रामपाल जी महाराज विश्व गुरु? इसके बारे में बताएंगे। Sant Rampal Ji Maharaj Naam Diksha: नामदीक्षा लेना क्या होता है। Sant Rampal Ji Maharaj Naam Diksha: गुरु होना हमारे जीवन में बहुत ही सौभाग्य की बात होती है क्योंकि बचपन से लेकर बूढ़े होने तक या यूं कहें इस जीवन के पाठ को गुरु ही पढ़ाता है गुरु हमारे जीवन में अंधकार में प्रकाश का कार्य करता है। Sant Rampal Ji Maharaj Naam Diksha: गुरु का महत्व एक वाणी में कहा है गुरूर ब्रह्मा गुरूर विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः भावार्थ है गुरु ब्रह्मा विष्णु महेश यानी पारब्रह्म जो सबसे बड़ा भगवान है उनके बराबर होते हैं ऐसे गुरु को नमन करते हैं। बचपन में हम जब शिक्षा प्राप्त करते हैं तो शिक्षा देने वाला गुरु अलग होता है उसके बाद हम कार्यक्षेत्र में जाते हैं कार्यक्षेत्र का गुरु अलग होता है इसी प्रकार आध्यात्मिक मार्ग में भगवान से मिलाने वाला गुरु सबसे अलग होता है वह स्वयं परमात्मा होते हैं। गुरु हमेशा अपने शिष्य को जीवन की सही राह दिखाते हुए उसके लक्ष्य की प्राप्ति करवाता है। जानते हैं कबीर साहेब जी की उस पावन वाणी का सार जो आज भी हमें सही दिशा दिखाने का काम कर रही है। – गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय।। कबीर साहेब जी गुरु की महत्ता बताते हुए कहते हैं गुरु...