राणा प्रताप की कहानी

  1. महाराणा प्रताप की कहानी (कथा)
  2. महाराणा प्रताप पर निबंध (Essay on Maharana Pratap in Hindi) – HistoryDekho.com
  3. maharana pratap story know history how he became maharana pratap from kika defeat mughal emperor akbar Latest News in Hindi, Newstrack Samachar, Aaj Ki Taja Khabar
  4. Maharana Pratap History in Hindi
  5. महाराणा प्रताप की सच्ची कहानी
  6. महाराणा प्रताप की जीवनी (Biography of Maharana Pratap)
  7. महाराणा प्रताप का जीवन परिचय, इतिहास, कहानी और उनकी मृत्यु
  8. महाराणा प्रताप की कहानी
  9. महाराणा प्रताप पर निबंध (Essay on Maharana Pratap in Hindi) – HistoryDekho.com
  10. महाराणा प्रताप की जीवनी (Biography of Maharana Pratap)


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महाराणा प्रताप की कहानी (कथा)

महाराणा प्रताप को राजपूत वीरता, शिष्टता और दृढ़ता की एक मिसाल माना जाता है। दुश्मनों के सामने सिर्फ महाराणा प्रताप का नाम लेने भर से सेना के पसीने छूट जाते थे। एक ऐसा राजा जो विषम से विषम परिस्थिति में किसी के आगे झुका नहीं। महाराणा प्रताप को जितना उनकी बहादुरी के लिए जाना जाता है, उतनी ही उनकी दरियादिली और प्रजा व राज्य से उनका प्रेम जगजाहिर है। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि प्रताप निहत्थे दुश्मन के लिए भी एक तलवार रखते थे। महाराणा प्रताप (महाराणा प्रताप की कहानी इन हिंदी) पर बहुत सी फिल्में और धारावाहिक बने। कई शोध हुए और उन पर किताबें भी लिखी गई। आज भी प्रताप की गौरव गाथा बच्चों को पढ़ाई जाती है। ताकि उनकी भी रगों में महाराणा प्रताप की तरह देशभक्ति और बहादुरी का प्रवाह बना रहे। आइए नजर डालते हैं भारत का वीर पुत्र कहा जाने वाले महाराणा प्रताप की जीवन कथा हिंदी में (maharana pratap ki kahani)। तो चलिए जाने महाराणा प्रताप की कहानी इन हिंदी और उनकी शौर्य गाथा से जुड़ें विचारों के बारे में। Table of Contents • • • • • • • • • महाराणा प्रताप कौन थे महाराणा प्रताप (maharana pratap itihas) मेवाड़ के महान हिंदू शासक थे। वे उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। वे अकेले ऐसे वीर थे, जिसने मुग़ल बादशाह अकबर की अधीनता किसी भी प्रकार स्वीकार नहीं की। वे हिन्दू कुल के गौरव को सुरक्षित रखने में सदा तल्लीन रहे। वीरता और आजादी के लिए प्यार तो राणा के खून में समाया था क्योंकि वह राणा सांगा के पोते और उदय सिंह के पुत्र थे। राजस्थान के मध्यकालीन इतिहास का सबसे चर्चित युद्ध हल्दीघाटी का युद्ध था जो मुगल बादशाह अकबर और महराणा प्रताप के बीच हुआ था। अकबर और महाराणा प्रताप (maharana pratap ...

महाराणा प्रताप पर निबंध (Essay on Maharana Pratap in Hindi) – HistoryDekho.com

प्रस्तावना ऐसा कोई भारतीय नहीं है जिसने महाराणा प्रताप का नाम न सुना हो। सभी महापुरुषों का जीवन हमें याद दिलाता है कि हम अपने जीवन को उदात्त बना सकते हैं। बहादुर पुरुषों को हमेशा सभी उम्र और सभी देशों में सम्मानित किया जाता है। हम हमेशा महान व्यक्तियों के जीवन और इतिहास से प्रेरणा पाते हैं। भारतीय इतिहास विभिन्न राष्ट्रीय नायकों से भरा है जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। प्रताप का जन्म प्रसिद्ध शिशोदिया परिवार में हुआ था। महाराणा प्रताप हमारे देश के महान देशभक्तों में से एक थे। वह न केवल राजस्थान का गौरव और गौरव था, बल्कि पूरे देश का भी था। वह मेवाड़ का शासक था। वे राणा उदय सिंह के पुत्र और महान राणा साँगा के पोते थे। राणा एक महान योद्धा, एक बहादुर राजपूत और एक सच्चे देशभक्त थे। महाराणा प्रताप की विशेषता महाराणा प्रताप निस्संदेह, अपने समय के सबसे बहादुर सैनिक थे। उन्हे कभी मौत का डर नहीं था। उन्होंने मुगलों की शक्तिशाली सेना के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। वह सभी खतरों के बीच जीवन को एक चट्टान के रूप में खड़ा करते थे। उनमें आत्म-सम्मान की भावना बहुत अधिक थी। यह देश के लिए उनका प्यार था कि उन्होंने शक्तिशाली मुगल साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। उन्होंने कभी भी अपनी स्वतंत्रता अकबर के हाथों में नहीं दी। महाराणा प्रताप का जीवन राणा प्रताप का जीवन कष्टों और संकटों की एक लंबी कहानी थी। हल्दीघाटी के युद्ध में वह पूरी तरह से हार गए थे। उन्हें अपने परिवार और अपने कुछ अनुयायियों के साथ अरावली पहाड़ियों में शरण लेनी पड़ी। उन्होंने वहां बहुत कठिन जीवन गुजरा। वह पहाड़ियों में जगह से भटक गया...

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Maharana Pratap: राजस्थान के कुम्भलगढ़ में राणा प्रताप का जन्म सिसोदिया राजवंश के महाराणा उदयसिंह एवं माता रानी जीवत कँवर के घर 9 मई,1540 ई. को हुआ था। तिथि अनुसार महाराणाप्रताप का जन्म दिन ज्येष्ठ माह शुल्क पक्ष की तृतीया तिथि को माना जाता है।रानी जीवत कँवर का नाम कहीं-कहीं जैवन्ताबाई भी उल्लेखित किया गया है। वे पाली के सोनगरा राजपूत अखैराज की पुत्री थीं। प्रताप का बचपन का नाम 'कीका' था। मेवाड़ के राणा उदयसिंह द्वितीय की 33 संतानें थीं। उनमें प्रताप सिंह सबसे बड़े थे। स्वाभिमान तथा धार्मिक आचरण उनकी विशेषता थी। प्रताप बचपन से ही ढीठ तथा बहादुर थे। बड़ा होने पर वे एक महापराक्रमी पुरुष बनेंगे, यह सभी जानते थे। सर्वसाधारण शिक्षा लेने से खेलकूद एवं हथियार बनाने की कला सीखने में उनकी रुचि अधिक थी। महाराणा प्रताप और चेतक भारतीय इतिहास में जितनी महाराणा प्रताप की बहादुरी की चर्चा हुई है, उतनी ही प्रशंसा उनके घोड़े चेतक को भी मिली। कहा जाता है कि चेतक कई फीट उंचे हाथी के मस्तक तक उछल सकता था। कुछ लोकगीतों के अलावा हिन्दी कवि श्यामनारायण पांडेय की वीर रस कविता 'चेतक की वीरता' में उसकी बहादुरी की खूब तारीफ़ की गई है।हल्दीघाटी के युद्ध में चेतक, अकबर के सेनापति मानसिंह के हाथी के मस्तक की ऊँचाई तक बाज की तरह उछल गया था। फिर महाराणा प्रताप ने मानसिंह पर वार किया। जब मुग़ल सेना महाराणा के पीछे लगी थी, तब चेतक उन्हें अपनी पीठ पर लादकर 26 फीट लंबे नाले को लांघ गया, जिसे मुग़ल फौज का कोई घुड़सवार पार न कर सका। प्रताप के साथ युद्ध में घायल चेतक को वीरगति मिली थी। महाराणा प्रताप को चेतक की प्राप्ति जब राणा प्रताप किशोर अवस्था में थे, तब एक बार राणा उदयसिंह ने उनको राजमहल में बुलाया और दो घ...

Maharana Pratap History in Hindi

महाराणा प्रताप हिस्ट्री हिंदी के इस ब्लॉग में आपको वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के बारे में जानने को मिलेगा। देश में यूं तो न जाने कितने वीर और महान योद्धा थे, जिन्होंने भारतीय अस्मिता को बचाने के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दी। मगर bharat ka veer putra maharana pratap उस बब्बर शेर की तरह थे, जो अपराजित रहकर विदेशी आक्रमणकारी क्रूर मुगलों से लड़ते रहे। महाराणा प्रताप नाम से मुग़ल बादशाह अकबर तक कांपता था। bharat ka veer putra maharana pratap देश के सबसे वीर योद्धाओं में से एक थे। राजपूतों में अपने पूर्वजों के जैसे ही उनका अंदाज़ था। मुगलों को भी उन्होंने नाकों चने चबवा दिया थे। महाराणा प्रताप ने वीरता से अपने प्राण इस देश की रक्षा के लिए त्याग दिए थे। नमन है ऐसे निडर महान योद्धा को जो, सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं। इस ब्लॉग से जानिए उनकी वीरगाथा को – Maharana Pratap History in Hindi Table of contents • • • • • • • • Check out: प्रारंभिक जीवन bharat ka veer putra maharana pratap का जन्म 9 मई, 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था। उनका जन्म हिन्दी तिथि के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। उनके पिता महाराजा उदयसिंह और माता राणी जीवत कंवर थीं। वे राणा सांगा के पोते थे। महाराणा प्रताप का बचपन का नाम ‘कीका’ था। महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी संवत कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। महाराणा प्रताप हिस्ट्री हिंदी के माध्यम से आप महाराणा प्रताप की महानता के बारे में जान पाएंगे। Check out: निजी जीवन bharat ka veer putra maharana pratap की पहली रानी का नाम अजबदे पुनवार था। इनके दो पुत्र थे, अमर सिंह और भगवान दास। अमर स...

महाराणा प्रताप की सच्ची कहानी

महाराणा प्रताप की सच्ची कहानी – Maharana Pratap History in Hindi उन्हें उनकी बहादुरी और दृढ़ता के लिए हमेशा याद किया जाता है। इस लेख में महाराणा प्रताप की सच्ची कहानी शीर्षक के माध्यम से उनके जीवन से जुड़ी उन घटनाओं का जिक्र करेंगे जो उन्हें एक महान योद्धाओं की सूची में लाकर खड़ा कर दिया। इसमें हम महाराणा प्रताप के बचपन से लेकर मुगलों के खिलाफ उनकी जंग तक की कहानी का विस्तार से जानेंगे। महाराणा प्रताप की सच्ची कहानी – Maharana Pratap story in Hindi महाराणा प्रताप की बचपन की कहानी महान प्रतापी शासक महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किले में हुआ था। उनके पिता राजा उदय सिंह मेवाड़ के राजा थे। जिन्होंने उदयपुर शहर की स्थापना की थी। महाराणा प्रताप की माता का नाम रानी जयवंता बाई था। महाराणा प्रताप अपने भाई बहन में वे सबसे बड़े थे। उनके बचपन का नाम कीका था। बचपन से ही महाराणा प्रताप बहुत ही बहादुर थे। उन्होंने बहुत ही कम उम्र में युद्ध कौशल, घुड़सवारी और तीरंदाजी में निपुणता हासिल कर ली थी। वे एक सच्चे देशप्रेमी और वीर राजपूत शासक थे जिन्हें मुगल साम्राज्य की अधीनता स्वीकार नहीं थी। उन्होंने अपने राज्य की स्वतंत्रता के लिए कई वर्षों तक संघर्ष किया। आज पूरे विश्व में उनकी बहादुरी और दृढ़ता की मिसाल दी जाती है। महाराणा प्रताप की कहानी इन हिंदी महाराणा प्रताप को मेवाड़ की गद्दी अपने पिता से विरासत में मिली। उन्होंने 1572 ईस्वी में जब मेवाड़ की सत्ता संभाली। READ नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास | nalanda vishwavidyalaya history in hindi वे 7 फीट 5 इंच ऊंचे थे और उनके शरीर का वजन 110 किलो ग्राम था। कहा जाता है की युद्ध भूमि में महाराणा प्रताप 81 किलो वजन वाले भाला और ...

महाराणा प्रताप की जीवनी (Biography of Maharana Pratap)

मातृभूमि की स्वतन्त्रता के लिए सब कुछ न्यौछावर करने वाले देशभक्तों में महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) का नाम सदैव आदर के साथ लिया जायगा। वे मेवाड़ की स्वतन्त्रता के लिए शत्रु की बड़ी से बड़ी शक्ति से निरंतर लोहा लेते रहे, किन्तु कठिन से कठिन परिस्थिति आने पर भी हार नहीं मानी। वे महाराणा संग्राम सिंह जैसे शूर-वीर, साहसी, देशभक्त के पौत्र थे, जिन्होंने बाबर के साथ युद्ध किया था। राणा प्रताप के पिता मेवाड़ के राणा उदय सिंह थे। पत्राबाई धाय के त्याग के बारे में सब लोग जानते हैं। पत्राबाई ने उदय सिंह के प्राणों की रक्षा के लिए उसके स्थान पर अपने शिशु पुत्र को सुला दिया था। शत्रु ने उसे राणा संग्राम सिंह का पुत्र समझकर उसका वध कर दिया था। पत्राबाई उदय सिंह को टोकरी में छिपाकर बचा लायी थी। उदय सिंह के शासन काल में मुगल बादशाह अकबर ने 1567 ई. में मेवाड़ पर चढ़ाई करके चित्तौड़ को जीत लिया था। पर राणा उदय सिंह ने चित्तौड़ को पुनः प्राप्त करने का कोई प्रयास नहीं किया। राजस्थान में उदयपुर नगर राणा उदय सिंह का ही बसाया हुआ है। उदय सिंह ने 1572 ई. तक उदयपुर पर राज्य किया। उदय सिंह विलासी स्वभाव के व्यक्ति थे। राणा प्रताप उनके पुत्रों में सब से तेजस्वी थे। किन्तु उदय सिंह ने ज्येष्ठ पुत्र प्रताप को अपनी राज गद्दी का उत्तराधिकारी न बना कर विलासी पुत्र जगपाल को गद्दी सौंप दी। मेवाड़ की जनता उदयसिंह के कारनामें देख चुकी थी, जिसने शत्रु से अपने हारे हुए दुर्ग जीतने का प्रयत्न न करके उदयपुर में विलासी जीवन बिताया था। वह और अपमान सहन करने के लिए तैयार नहीं थी। उसने जगपाल को स्वीकार नहीं किया और 3 मार्च 1572 ई० को महाराणा प्रताप को गद्दी पर आसीन कर दिया। महाराणा प्रताप का जन्म 31 मई 1539 ई० क...

महाराणा प्रताप का जीवन परिचय, इतिहास, कहानी और उनकी मृत्यु

महाराणा प्रताप की कथा पढ़ने में आपको बेहद आनंद आयेगा| महाराणा प्रताप और मुगलों के बिच हुए घमासान युद्ध की कहानी में महाराणा प्रताप जी ने मुगलों को धुल चटाई थी जिसे आज पूरा भारतवर्ष अच्छी तरह जानता है. मेवाड़ के वीर योद्धा महाराणा प्रताप की बात ही निराली है| महाराणा प्रताप का जीवन परिचय हिंदी में महाराणा प्रताप का नाम इतना प्रसिद्ध है की हर जगह जब वीर योधाओं की बात होती है तो महाराणा प्रताप जी का भी नाम सामने आता है, महाराणा प्रताप की वीरता की कहानी से भारत की भूमि गर्व से हरी भरी है| महाराणा प्रताप मेवाड़ के प्रजा के राजा थे. महाराणा प्रताप एक ऐसे वीर योद्धा थे जो हमेशा अपनी प्रजा के हित के लिए सोचते थे और अपनी प्रजा की रक्षा के लिए हमेशा दुश्मनों से युद्ध करने लिए हमेशा तत्पर रहते थे. प्रजा उनके शाशन में हमेशा खुश रहती थी| महाराणा प्रताप ने मुगलों से कई बार युद्ध करा है| महाराणा प्रताप राजपूतों में सिसोदिया वंश के वशंज थे. महाराणा प्रताप बहादुर राजपूत थे जिनकी वीरता को पूरा देश भी सलाम करते थे| महाराणा प्रताप युद्ध कौशल में निपूर्ण थे ही लेकिन वे एक भावुक और धर्म की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे| महाराणा प्रताप की सबसे पहली गुरु उनकी माता जयवंता बाई जी थीं. महाराणा प्रताप का इतिहास – महाराणा प्रताप जयंती पूरा नाम : महाराणा प्रताप सिंह (राजपूत) महाराणा प्रताप के पिता का नाम : श्री राणा उदय सिंह जी महाराणा प्रताप की माता का नाम : श्रीमती जयवंता बाई जी महाराणा प्रताप की पत्नी का नाम : श्रीमती अजब्देह महाराणा प्रताप का जन्म : 09 मई 1540 को महाराणा प्रताप की मृत्यु : 29 जनवरी 1597 महाराणा प्रताप का पुत्र : श्री अमर सिंह और भगवान दास महाराणा प्रताप के घोडे का नाम : चेतक मह...

महाराणा प्रताप की कहानी

महाराणा प्रताप की कहानी - कैसे गीत गागर की देश की रक्षा नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट www.upoard.live पर दोस्तों आज की पोस्ट में हम महाराणा प्रताप की कहानी कैसे गीत गाकर की देश की रक्षा के बारे में बताएंगे आप इस पोस्ट को आखिरी तक पढ़ना है यदि पोस्ट पसंद आए तो अपने मित्र में भी शेयर करिएगा कैसे गीत गाकर की देश की रक्षा" इस कहानी को जरूर पढ़ें और जानें महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी एक कहानी जो हमें सिखाती हैं क्या होते हैं देश भक्ति ? और कैसे निभाए जाते हैं देशभक्ति? यह एक देश भक्ति की कहानी है जिसकी शिक्षा हमें बताती है कि आज के वक्त में क्या होनी चाहिए देश भक्ति जरूर पढ़ें और जानें अपने कर्तव्यों को। "कैसे गीत गाकर की देश की रक्षा" प्रताप चित्तौड़ के राजा उदय सिंह का बेटा था। इतिहास गवाह है प्रताप की देशभक्ति का आइये एक प्रसंग सुनाते हैं। प्रताप राणा के बेटे थे उन्हें गाने बजाने का बहुत शौक था यूं तो वो सदैव देश भक्ति गीत की लय में रहते थे लेकिन फिर भी लोग उन्हें कहते थे। तुम एक राजपूत घराने के भविष्य के राणा हो। यह क्या शौक लिए हुए हो। गाना बजाना तो चरणों का काम है। तुम्हें तबले या ढोल की नहीं तलवार और बरची की ताल सिखाना चाहिए। इस पर प्रताप एक ही बात बोलते थे देश भक्त केवल तलवार से ही जाहिर नहीं होती। और मेरा यह कथन में सिद्ध करके बताऊंगा। उन दोनों चित्तौड़ सबसे शक्तिशाली राष्ट्र था। जिसका लोहा सभी मानते थे और मुगल भी एक मात्र चित्तौड़ को चुनौती मानते थे और हमेशा उस पर फतेह के लिए हमला करते थे। एक बार मुगलों ने चित्तौड़ पर हमला किया। किला इतना मजबूत था कि राजपूत सैनिकों ने जमकर मुकाबला किया और मुगलों को पीछे हटाना पड़ा। उस वक्त प्रताप बस्ती में रहते थे और...

महाराणा प्रताप पर निबंध (Essay on Maharana Pratap in Hindi) – HistoryDekho.com

प्रस्तावना ऐसा कोई भारतीय नहीं है जिसने महाराणा प्रताप का नाम न सुना हो। सभी महापुरुषों का जीवन हमें याद दिलाता है कि हम अपने जीवन को उदात्त बना सकते हैं। बहादुर पुरुषों को हमेशा सभी उम्र और सभी देशों में सम्मानित किया जाता है। हम हमेशा महान व्यक्तियों के जीवन और इतिहास से प्रेरणा पाते हैं। भारतीय इतिहास विभिन्न राष्ट्रीय नायकों से भरा है जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। प्रताप का जन्म प्रसिद्ध शिशोदिया परिवार में हुआ था। महाराणा प्रताप हमारे देश के महान देशभक्तों में से एक थे। वह न केवल राजस्थान का गौरव और गौरव था, बल्कि पूरे देश का भी था। वह मेवाड़ का शासक था। वे राणा उदय सिंह के पुत्र और महान राणा साँगा के पोते थे। राणा एक महान योद्धा, एक बहादुर राजपूत और एक सच्चे देशभक्त थे। महाराणा प्रताप की विशेषता महाराणा प्रताप निस्संदेह, अपने समय के सबसे बहादुर सैनिक थे। उन्हे कभी मौत का डर नहीं था। उन्होंने मुगलों की शक्तिशाली सेना के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। वह सभी खतरों के बीच जीवन को एक चट्टान के रूप में खड़ा करते थे। उनमें आत्म-सम्मान की भावना बहुत अधिक थी। यह देश के लिए उनका प्यार था कि उन्होंने शक्तिशाली मुगल साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। उन्होंने कभी भी अपनी स्वतंत्रता अकबर के हाथों में नहीं दी। महाराणा प्रताप का जीवन राणा प्रताप का जीवन कष्टों और संकटों की एक लंबी कहानी थी। हल्दीघाटी के युद्ध में वह पूरी तरह से हार गए थे। उन्हें अपने परिवार और अपने कुछ अनुयायियों के साथ अरावली पहाड़ियों में शरण लेनी पड़ी। उन्होंने वहां बहुत कठिन जीवन गुजरा। वह पहाड़ियों में जगह से भटक गया...

महाराणा प्रताप की जीवनी (Biography of Maharana Pratap)

मातृभूमि की स्वतन्त्रता के लिए सब कुछ न्यौछावर करने वाले देशभक्तों में महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) का नाम सदैव आदर के साथ लिया जायगा। वे मेवाड़ की स्वतन्त्रता के लिए शत्रु की बड़ी से बड़ी शक्ति से निरंतर लोहा लेते रहे, किन्तु कठिन से कठिन परिस्थिति आने पर भी हार नहीं मानी। वे महाराणा संग्राम सिंह जैसे शूर-वीर, साहसी, देशभक्त के पौत्र थे, जिन्होंने बाबर के साथ युद्ध किया था। राणा प्रताप के पिता मेवाड़ के राणा उदय सिंह थे। पत्राबाई धाय के त्याग के बारे में सब लोग जानते हैं। पत्राबाई ने उदय सिंह के प्राणों की रक्षा के लिए उसके स्थान पर अपने शिशु पुत्र को सुला दिया था। शत्रु ने उसे राणा संग्राम सिंह का पुत्र समझकर उसका वध कर दिया था। पत्राबाई उदय सिंह को टोकरी में छिपाकर बचा लायी थी। उदय सिंह के शासन काल में मुगल बादशाह अकबर ने 1567 ई. में मेवाड़ पर चढ़ाई करके चित्तौड़ को जीत लिया था। पर राणा उदय सिंह ने चित्तौड़ को पुनः प्राप्त करने का कोई प्रयास नहीं किया। राजस्थान में उदयपुर नगर राणा उदय सिंह का ही बसाया हुआ है। उदय सिंह ने 1572 ई. तक उदयपुर पर राज्य किया। उदय सिंह विलासी स्वभाव के व्यक्ति थे। राणा प्रताप उनके पुत्रों में सब से तेजस्वी थे। किन्तु उदय सिंह ने ज्येष्ठ पुत्र प्रताप को अपनी राज गद्दी का उत्तराधिकारी न बना कर विलासी पुत्र जगपाल को गद्दी सौंप दी। मेवाड़ की जनता उदयसिंह के कारनामें देख चुकी थी, जिसने शत्रु से अपने हारे हुए दुर्ग जीतने का प्रयत्न न करके उदयपुर में विलासी जीवन बिताया था। वह और अपमान सहन करने के लिए तैयार नहीं थी। उसने जगपाल को स्वीकार नहीं किया और 3 मार्च 1572 ई० को महाराणा प्रताप को गद्दी पर आसीन कर दिया। महाराणा प्रताप का जन्म 31 मई 1539 ई० क...