परिवर्तन किस कवि की रचना है

  1. परिवर्तन (कविता)
  2. अज्ञेय
  3. [Solved] 'जगद्वविनोद' किस कवि
  4. प्रेमचंद के नाम पर रगड़ा
  5. [বাংলা] निर्गुण संत काव्य और कवि MCQ [Free Bengali PDF]
  6. MCQ Questions for Class 6 Hindi Chapter 14 लोकगीत with Answers
  7. रीतिकाल की पूरी जानकारी
  8. NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 15 नए इलाके में ... खुशबू रचते हैं हाथ


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परिवर्तन (कविता)

‘परिवर्तन’ यह कविता 1924 में लिखी गई थी। कविता रोला छंद में रचित है। यह एक लम्बी कविता है। यह कविता ‘पल्लव’ नामक काव्य संग्रह में संकलित है। परिवर्तन कविता को समालोचकों ने एक ‘ग्रैंड महाकाव्य’ कहा है। स्वयं पंत जी ने इसे पल्लव काल की प्रतिनिधि रचना मानते हैं। परिवर्तन को कवि ने जीवन का शाश्वत सत्य माना है। यहाँ सबकुछ परिवर्तनशील है। इसमें परिवर्तन के कोमल और कठोर दोनों रूपों का चित्रण है। परिवर्तन को रोकने की क्षमता किसी में भी नहीं है। भाग-1 आज कहाँ वह पूर्ण-पुरातन, वह सुवर्ण का काल? भूतियों का दिगंत-छबि-जाल, ज्योति-चुम्बित जगती का भाल? राशि राशि विकसित वसुधा का वह यौवन-विस्तार? स्वर्ग की सुषमा जब साभार धरा पर करती थी अभिसार! प्रसूनों के शाश्वत-शृंगार, (स्वर्ण-भृंगों के गंध-विहार) गूंज उठते थे बारंबार, सृष्टि के प्रथमोद्गार! नग्न-सुंदरता थी सुकुमार, ॠध्दि औ’ सिध्दि अपार! अये, विश्व का स्वर्ण-स्वप्न, संसृति का प्रथम-प्रभात, कहाँ वह सत्य, वेद-विख्यात? दुरित, दु:ख, दैन्य न थे जब ज्ञात, अपरिचित जरा-मरण-भ्रू-पात! भाग-2 हाय! अब मिथ्या-बात! आज तो सौरभ का मधुमास शिशिर में भरता सुनी-साँस! वही मधुऋतु की गुन्जित-डाल झुकी थी जो यौवन के भार, अकिन्चंता में निज तत्काल सिगार उठती,-जीवन है भार! आज पावास-नद के उद्गार काल के बनते चिन्ह-काल; प्रातः का सोने का संसार जला देती संध्या की ज्वाल! अखिल यौवन के रंग-उभार हड्डियों के हिलते कंकाल; कचों के चिकने, काले व्याल केंचुली, काँस, सिवार; गूंजते हैं सब के दिन-चार, सभी फिर हाहाकार! भाग-3 आज बचपन का कोमल-गात जरा सा पीला-पात ! चार-दिन सुखद चाँदनी-रात, और फिर अंधकार, आज्ञात ! शिशिर-सा झर नयनों का नीर झुलस देता गालों के फूल! प्रणय का चुम्बन छोड़ अधीर ...

अज्ञेय

अनुक्रम • 1 जीवन परिचय • 2 कार्यक्षेत्र • 3 प्रमुख कृतियां • 4 अज्ञेय रचनावली • 5 पुरस्कार/सम्मान • 6 सन्दर्भ • 7 बाहरी कड़ियाँ जीवन परिचय [ ] प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा पिता की देख रेख में घर पर ही कार्यक्षेत्र [ ] 1930 से 1936 तक विभिन्न जेलों में कटे। 1936-37 में सैनिक और विशाल भारत नामक पत्रिकाओं का संपादन किया। 1943 से 1946 तक ब्रिटिश सेना में रहे; इसके बाद वाक् और एवरीमैंस जैसी प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। 1980 में उन्होंने वत्सलनिधि नामक एक न्यास की स्थापना की जिसका उद्देश्य साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करना था। आँगन के पार द्वार पर उन्हें कितनी नावों में कितनी बार पर भारतीय प्रमुख कृतियां [ ] कविता संग्रह:- भग्नदूत-1933, चिन्ता-1942, इत्यलम्-1946, हरी घास पर क्षण भर-1949, बावरा अहेरी-1954, इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये-1957, अरी ओ करुणा प्रभामय-1959, आँगन के पार द्वार-1961, कितनी नावों में कितनी बार (1967) क्योंकि मैं उसे जानता हूँ (1970) सागर मुद्रा (1970) पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974) महावृक्ष के नीचे (1977) नदी की बाँक पर छाया (1981) प्रिज़न डेज़ एण्ड अदर पोयम्स (अंग्रेजी में,1946)। • कहानियाँ:- विपथगा 1937 परम्परा 1944 कोठरी की बात 1945 शरणार्थी 1948 जयदोल 1951 • उपन्यास:- • यात्रा वृतान्त:- • निबंध संग्रह: सबरंग त्रिशंकु 1945 आत्मनेपद 1960 आधुनिक साहित्य: एक आधुनिक परिदृश्य आलवाल 1971 सब रंग और कुछ राग 1956 लिखी कागद कोरे 1972 • आलोचना:- त्रिशंकु 1945 आत्मनेपद 1960 भवन्ती 1971 अद्यतन 1971 • संस्मरण: स्मृति लेखा • डायरियां: भवंती, अंतरा और शाश्वती। • विचार गद्य: संवत्‍सर • नाटक: उत्तरप्रियदर्शी • जीवनी: शिखर से सागर तक संपादित ग्रंथ:- आधुनिक ह...

[Solved] 'जगद्वविनोद' किस कवि

• 'जगद्वविनोद' 'पद्माकर'कवि की रचना है। Important Points • जगत विनोद में छह प्रकाश एवं 731 छंदो में नव रसों का विवेचन है। • काव्य निर्णय में काव्य के भेदोपभेदों का वर्णन है। • रस रहस्य में मम्मट के रस रहस्य का छायानुवाद है। • भाव विलास में रस एवं नायक नायिका भेद वर्णन है। Additional Information • देव • इनके ग्रंथों की संख्या 72 बताते हैं, जिनमें 'भाव-विलास, 'भवानी-विलास, 'कुशल-विलास, 'रस-विलास, 'प्रेम-चंद्रिका, 'सुजान-मणि, 'सुजान-विनोद तथा 'सुख-सागर तरंग आदि 19 ग्रंथ प्राप्त हैं। • पद्माकर के ग्रंथ • हिम्मतबहादुर विरुदावली, पद्माभरण, जगद्विनोद, रामरसायन (अनुवाद), गंगालहरी, आलीजाप्रकाश, प्रतापसिंह विरूदावली, प्रबोध पचासा, ईश्वर-पचीसी, यमुनालहरी, प्रतापसिंह-सफरनामा, भग्वत्पंचाशिका, राजनीति, कलि-पचीसी, रायसा, हितोपदेश भाषा (अनुवाद), अश्वमेध • कुलपति मिश्र • रस रहस्य (1670), द्रोण पर्व (1680), युक्ति तरंगिणी (1686), नख शिख, संग्राम सार • भिखारी दास की प्रमुख रचनाएं:- • नाम कोश (1738), रस सारांश (1742), छंदार्णव पिंगल (1742), काव्य निर्णय (1746), श्रृंगार निर्णय (1750), विष्णु पुराण भाषा, शतरंज शतिका ,अमरकोश

प्रेमचंद के नाम पर रगड़ा

शोध समवाय, हिंदी विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने ‘लेखक के घर चलो-2’ मुहिम के अंतर्गत गत 31 मई 2023 को लमही स्थित प्रेमचंद के घर में प्रेमचंद कला उत्सव का आयोजन किया। इसके तहत लमही स्थित प्रेमचंद के पैतृक गृह परिसर में भ्रमण, ‘प्रेमचंद पथ’ पत्रिका का लोकार्पण, ‘रंगभूमि’ का नाट्य मंचन, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘ईदगाह’, ‘सद्गति’ आदि कहानियों का पाठ और संगीत प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम की रूपरेखा बीएचयू के हिंदी विभाग के अध्यक्ष सदानंद शाही ने तैयार किया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत यूनिवर्सिटी के छात्रों को कथाकार प्रेमचंद के घर ले जाया गया। युवा कवि और शोधार्थी विहाग वैभव भी सबके साथ प्रेमचंद के घर गए। प्रेमचंद का घर और उनसे जुड़ी चींजे देखकर विहाग के मन में ‘प्रेमचंद के ग़रीब होने’ की धारणा टूटी। उन्होंने 31 मई, 2023 को फेसबुक पर तीन पोस्ट्स के जरिए लिखा कि “प्रेमचंद आर्थिक रूप से संपन्न थे। प्रेमचंद की ग़रीबी को ग्लोरीफाई करना इस देश के ग़रीबों का अपमान है। प्रेमचंद जी का घर देखा। हमारे लोगों के लिए वह घर आज भी पूरे जीवन का सपना है। प्रेमचंद का संघर्ष तत्कालीन मध्यवर्ग का संघर्ष है।” विहाग वैभव के पोस्ट के जवाब में जाने-माने समालोचक वीरेंद्र यादव ने अपनी टिप्पणी में लिखा– “कमल किशोर गोयनका और शैलेश जैदी अपने शोध द्वारा इस मुद्दे को पहले ही निःशेष कर चुके हैं। आप कोई नया रहस्योद्घाटन नहीं कर रहे हैं। उऩके लेखकीय संघर्ष के बारे में जानना चाहते हैं तो उनकी दो खंडों में ‘चिट्ठी पत्री’ पढ़िए, जो उन्होंने अपने मित्रों को लिखी हैं।” इसी पोस्ट पर कवि व पत्रकार विमल कुमार प्रेमचंद के आर्थिक संपन्नता का हवाला देकर अपनी प्रतिक्रिया में लिखते हैं कि “उस ज़माने में 1800 रुपए रॉयल्टी औ...

[বাংলা] निर्गुण संत काव्य और कवि MCQ [Free Bengali PDF]

'साधो सहज समाधि भली' काव्य-पंक्ति है :- कबीरदासजी की। 'साधो सहज समाधि भली' - • संत कबीर के पद से उद्धृत है। Key Points कबीर - • प्रसिद्धि - भक्तियुग के रहस्यवादी कवि • प्रमुख रचनाएं - • ​​रमैनी • सबद • साखी Additional Information गुरुनानक की भक्ति- विषयक वक्तव्य - • साचा साहिबु साचु नाइ भाखिया भाउ अपारु आखहि मंगहि देहि देहि... रैदास की भक्ति- विषयक वक्तव्य - • रैदास हमारौ राम जी, दशरथ करि सुत नाहीं। राम हमउ माहीं रह्यो, बिसाब कुटंबह माहिं।। मलूकदास की भक्ति- विषयक वक्तव्य - • साधो दुनिया बावरी, पत्थर पूजन जाय। मलूक पूजै आत्मा, कछु मांगै कछु खाय।। काहे री नलिनी तू कुम्हलानी....पंक्तियाँ कबीर दास जी की है। Key Points • कबीर दास जी के गुरु का नाम "रामानंद" है । • कबीरदास की भाषा को पंचमेल खिचड़ी, सधुक्कडी आदि नाम से अभिहित किया जाता है। • कबीर की वाणी का संग्रह उनके शिष्य धर्मदास में बीजक नाम से सन 1464 में किया है। • बीजक के तीन भाग हैं:- • साखी • सबद • रमैनी कबीर की रचनाओं में प्रयुक्त छंद एवं भाषा निम्नलिखित हैं:- • रीतिकालीन परंपरा के अंन्तर्गत वृन्द जी का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। • इनका पूरा नाम वृन्दावनदास था। • वृन्द जी को कविताओं के माध्यम से कई बार सम्मानित पुरस्कारों से नवाजा गया। • इसके चलते वृन्द जी का कविता के विषय में मनोवल बढता गया और वृन्द जी श्रेष्ठ कवि के रूप में पहिचाने जाने लगे। • ‘वृंद-सतसई कवि वृन्द जी की सबसे प्रसद्धि रचनाओं में से एक है. जिसमें 700 दोहे हैं। Important Points • "आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी" जी ने कबीर दास जी को "भाषा का डिक्टेटर" कहा है। • कबीरदास की भाषा को पंचमेल खिचड़ी, सधुक्कडी आदि नाम से अभिहित किया जाता है। • क...

MCQ Questions for Class 6 Hindi Chapter 14 लोकगीत with Answers

• NCERT Solutions Menu Toggle • NCERT Solutions for Class 12 • NCERT Solutions for Class 11 • NCERT Solutions for Class 10 • NCERT Solutions for Class 9 • NCERT Solutions for Class 8 • NCERT Solutions for Class 7 • NCERT Solutions for Class 6 • NCERT Books • TS Grewal Solutions • MCQ Questions Menu Toggle • NCERT MCQ Students who are searching for NCERT MCQ Questions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 14 लोकगीत with Answers Pdf free download can refer to this page thoroughly. Because here we have compiled a list of लोकगीत Class 6 MCQs Questions with Answers Practicing the Class 6 Hindi Vasant Chapter 14 MCQ with Answers aids students to learn all the fundamental concepts and prepare effectively for the exams. MCQ of लोकगीत Class 6 with Answers are prepared based on the latest exam pattern & CBSE guidelines. Here are the links available online for Free Download of Class 6 Hindi लोकगीत MCQ Multiple Choice Questions with Answers PDF. Question 1. पूरब की बोलियों में अधिकतर किसके गीत गाए जाते हैं? (a) विद्यापति के (b) घनानंद के (c) जगनिक के (d) संत ज्ञानेश्वर के Answer Answer: (a) विद्यापति के Question 2. ‘गरबा’ कहाँ का दलीय गायन है? (a) पंजाब का (b) गुजरात का (c) महाराष्ट्र का (d) बिहार का Answer Answer: (b) गुजरात का Question 3. गढ़वाल, किन्नौर आदि में गाए जाने वाले लोकगीतों का क्या नाम है? (a) पहाड़ी (b) माहिया (c) गरबा (d) आल्हा Answer Answer: (a) पहाड़ी Question 4. स्त्रियाँ अपने गीत किस वाद्य यंत्र की मदद से गाती हैं? (a) हारमोनियम (b) सितार (c) ढोलक (d) तबला Answer Answer:...

रीतिकाल की पूरी जानकारी

रीतिकाल की पूरी जानकारी इस आलेख में रीतिकाल की पूरी जानकारी एवं कवि तथा रचनाएं, प्रमुख काव्य धाराएं, रीतिकाल का नामकरण : रीतिकाल की पूरी जानकारी रीतिकाल को रीतिकाल क्यों कहा जाता है? हिंदी साहित्य का उत्तर मध्यकाल (1643 ई. – 1842ई. तक लगभग) जिसमें सामान्य रूप से श्रृंगार परक लक्षण ग्रंथों की रचना हुई है रीतिकाल कहलाता है। नामकरण की दृष्टि से रीतिकाल के संबंध में विद्वानों में पर्याप्त मतभेद है– अलंकृत काल— मिश्र बंधु रीतिकाल— आचार्य शुक्ल कलाकाल— डॉ रामकुमार वर्मा कलाकाल— डॉ रमाशंकर शुक्ल प्रसाद श्रृंगारकाल— पं. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र रीतिकाल की पूरी जानकारी सर्वमान्य मान्यता के अनुसार रीतिकाल नाम उपयुक्त है। सामान्य के संस्कृत के लक्षण ग्रंथों का अनुसरण करके हिंदी में भी रस, छंद, अलंकार, शब्द शक्ति, रीति, गुण, दोष, ध्वनि, वक्रोक्ति आदि का वर्णन किया गया इसे ही रीतिकाल कहा जाता है। रीतिकाल के प्रवर्तक कवि एवं काव्य धाराएं रीतिकाल का वर्गीकरण रीतिकाल को कितने भागों में बांटा गया है? रीतिकाल कितने प्रकार के होते हैं? रीतिकाल के उदय के कारण अपने आश्रय दाताओं की रुचि के कारण रीतिकालीन साहित्य का उदय हुआ— आचार्य शुक्ल संस्कृत साहित्य के लक्षण ग्रंथों से प्रेरित होकर विधि साहित्य लिखा गया था— आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी दरबारी संस्कृति होने के कारण कभी हताश और निराश हो गए थे अतः अपनी निराशा को दूर करने के लिए रीति साहित्य का उदय हुआ— डॉ. नगेंद्र रीतिकाल के पतन के कारण मंगल की भावना का भाव। चमत्कार की अतिशयता। श्रृंगार की अतिशयता। रीतिकालीन काव्य की प्रवृत्तियां : रीतिकाल की पूरी जानकारी रीति निरूपण की प्रवृत्ति काव्य में साहित्य के विविध अंगों पर (रस, छंद, अलंकार, शब्द शक्ति, गु...

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 15 नए इलाके में ... खुशबू रचते हैं हाथ

( पाठ्यपुस्तक से) 1. नए इलाके में प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए (क) नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है? (ख) कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है? (ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है? (घ)‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है? (ङ) कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी की ओर क्यों इशारा किया है? (च) इस कविता में कवि ने शहरों की किस बिडंबना की ओर संकेत किया है। उत्तर (क) कवि नए बसते इलाकों में रास्ता इसलिए भूल जाता है क्योंकि यहाँ नित नया निर्माण होता रहता है। नित नई घटनाएँ घटती रहती हैं। यहाँ प्रतिदिन पुरानी इमारतें टूटती हैं। नए-नए मकान बन जाते हैं। अपने निर्धारित स्थान पर जाने के लिए जो निशानियाँ बनाई गई होती हैं, वे जल्दी ही मिट जाती हैं इसलिए कवि को दिशा भ्रम हो। जाता है। (ख) कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है • पीपल का पेड़ • खंडहर • जमीन का खाली टुकड़ा • दो मकानों के बाद रंगीन-लोहे के फाटकवाला इकमंजिला मकान आदि। (ग) कवि अपने निर्धारित घर से एक घर पीछे या आगे इसलिए चल देता है क्योंकि अब इलाके का रूप परिवर्तित हो चुका है। वहाँ पर नई-नई ऊँची इमारतें बन चुकी हैं। उसने कई निशानियाँ बना रखी थीं परंतु निशानियाँ न मिलने तथा नव-निर्माण हो जाने के कारण कवि को दिशा भ्रम हो जाता है। वह स्मृति के आधार पर पुराने निशानों को खोजता ही रह जाता है। (घ) “बसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से अभिप्राय है-‘एक लंबा अंतराल’ जिस प्रकार दोनों ऋतुओं के बीच एक लंबा समय बीतने से परिस्थितियों में काफी परिवर्तन आ जाता है। जैसे कवि ने कभी बसंत की बहार देखी थी किंतु आज उसे पतझ...