प्रेमपाल की कॉमेडी

  1. मधुबाला
  2. प्रेमपाल शर्मा :: :: :: श्रद्धांजलि :: कहानी
  3. हिंदी साहित्यकार
  4. Prempal Meaning In Hindi
  5. प्रेमपाल शर्मा :: :: :: भूकंप :: कहानी


Download: प्रेमपाल की कॉमेडी
Size: 51.33 MB

मधुबाला

मधुबाला 1951 के एक फोटोशूट में मधुबाला जन्म मुमताज़ जहाँ बेग़म देहलवी 14 फ़रवरी 1933 मृत्यु 23 फ़रवरी 1969 ( 1969-02-23) (उम्र36) आवास मुंबई, भारत राष्ट्रीयता व्यवसाय धार्मिक मान्यता जीवनसाथी वि॰1960–69) मधुबाला ( مدھو بالا ; जन्म: 14 फ़रवरी 1933, दिल्ली में जन्मी और पली-बढ़ी, मधुबाला आठ साल की उम्र में अपने परिवार के साथ मुंबई चली गईं और कुछ ही समय बाद कई फिल्मों में छोटी भूमिकाओं में दिखाई दीं।उन्होंने 1940 के दशक के अंत में प्रमुख भूमिकाओं में प्रगति की, और नाटक नील कमल (1947) और अमर (1954), हॉरर फिल्म महल (1949), और रोमांटिक फिल्मों बादल (1951) और तराना (1951) से पहचान हासिल की। एक संक्षिप्त झटके के बाद, मधुबाला को मिस्टर एंड मिसेज '55 (1955), चलती का नाम गाड़ी (1958) और हाफ टिकट (1962), क्राइम फिल्मों हावड़ा ब्रिज और काला पानी (दोनों) में लगातार आलोचनात्मक और व्यावसायिक सफलता मिली। 1958), और संगीतमय बरसात की रात (1960)। ऐतिहासिक चेहरे द्वारा`भावाभियक्ति तथा नज़ाक़त उनकी प्रमुख विशेषतायें थीं। उनके अभिनय, प्रतिभा, व्यक्तित्व और खूबसूरती को देख कर यही कहा जाता है कि वह भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे महान अभिनेत्री है। वास्तव मे हिन्दी फ़िल्मों के समीक्षक मधुबाला के अभिनय काल को स्वर्ण युग की संज्ञा से सम्मानित करते हैं। अनुक्रम • 1 प्रारम्भिक जीवन • 2 बॉलीवुड में प्रवेश • 2.1 प्रमुखता और उतार-चढ़ाव का उदय (1950-1957) • 2.2 पुनरुत्थान, प्रशंसा और अंतिम कार्य (1958-1964) • 3 निजी जीवन • 3.1 परोपकार • 3.2 रिश्ते और शादी • 3.3 स्वास्थ्य बिगड़ना और अंतिम वर्ष • 4 मृत्यु • 5 सार्वजनिक छवि • 6 अभिनय शैली और स्वागत • 7 विरासत • 8 अभिनय यात्रा • 9 दिलीप कुमार से सम्बन्ध • 10 विव...

प्रेमपाल शर्मा :: :: :: श्रद्धांजलि :: कहानी

मैं उस पर कहानी लिखना चाहता था। कई वर्षों तक यह विचार मेरे अंदर चहलकदमी करता रहा कि बात कैसे आगे बढ़े। आँखों में आँखें डालकर उसकी आँखें बताना चाहती थीं अपनी कहानी। मुझे इतना भर पता था कि पड़ोस के चौधरी की सेवा के लिए इसे रखा गया है। पिछले दस-बारह साल से। वो मुझे अक्‍सर बालकॉनी में दिख जाती थी। उम्र लगभग पचास बरस? कुछ कम भी हो सकती है। गदराया बदन, चमकीली आँखें। बंगाली में ही कुछ-कुछ बोलते, बतियाते हुए। कभी-कभी फ्लैटों की चारदीवारी के पास सटी पान की दुकान तक ऊँची आवाज में संवाद करते हुए। पता नहीं उसे कैसे पता था कि कौन-कौन बंगाली लड़के, मजदूर दुकान के आस-पास से गुजरते हैं। वह दूर से ही आवाज लगाती जोर-जोर से बतियाती, हँसती, डाँटती, सुझाव देती और तुरत-फुरत फिर अंदर चली जाती। शायद मालिक या मा‍लकिन के इशारे पर। मेरे लिए पहेली की तरह था यह सब। उससे परिचय की कई परतें हैं। जब मैं इस फ्लैट में किराए पर आया तो कई दिन तक जैसे महानगर में होता है, कोई संवाद नहीं हुआ। फिर संडे को हमने एक-दूसरे को देखा। मैं कपड़े धोकर सुखा रहा था। उसे यकीन हुआ कि हो न हो मैं इस घर का नौकर हूँ। उसने खुद पहल कर बात करनी चाही - बंगाली में ही। जिसके भाव थे 'कहाँ से हो, प्‍यारे! क्‍या-क्‍या काम करते हो? दिन में कहाँ चले जाते हो? इस घर में और कौन-कौन हैं?' फिर धीरे-धीरे तार जुड़ते गए, 'आप कहाँ से?' 'वीरभूमि।' 'बंगाल में या बिहार में?' वह क्‍या जवाब देती? मुझे भी पक्‍का नहीं पता था कि नक्‍शे में वीरभूमि कहाँ है। वीरान बालकॉनी में मानो उनकी परछाई अभी भी खड़ी है कुछ सुनने, बतियाने के लिए। मनुष्‍य कितना भी अकेलेपन में शांति की तलाश करे सच्‍ची शांति दुनिया के साथ दुख-दर्द बाँटने में मिलती है। बालकॉनी में खड़कन के साथ...

हिंदी साहित्यकार

इस सूची में अन्य भाषाओं में लिखनेवाले वे साहित्यकार भी सम्मिलित हैं जिनकी पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद हो चुका है। अकारादि क्रम से रचनाकारों की सूची अ • • • • • • • अमन राठौर मन • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • अब्दुलस्समद • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • अल्पना मिश्र • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • आ • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • इ • • • • ई उ • • ए • ओ • औ ॠ क • • • • • • • • ख • • • ग घ च • • छ • ज • • • • • ठ त • • • द ध • • न • • • • • • प • • • • • • • • • • फ • • ब • • • • भ • • • • • • म • • • • • • • • • • • • • • • • • • य • • र • • • • • • • • • • • • • ल • • • • व • • • • • श • • • • • • • • • • श्र • • स • • • • • • • • • • • • ह • • • • • • • त्र • ज्ञ • •

Prempal Meaning In Hindi

Name(s) Prempal नाम प्रेमपाल अर्थ • लव ऑफ फॉस्टरर लिंग लड़का धर्म सिख राशि कन्या प्रेमपाल का मतलब आइये प्रेमपाल नाम रखने के प्रभाव को गहरायी से समझते हैं। जीवन में नाम और उस नाम का मतलब बहुत महत्वपूर्ण हैं। नाम वो चीज है जिस से हम दिन-प्रतिदिन पहचाने जाते हैं। नाम का मतलब बच्चों को एक अच्छे लक्ष्य के लिए सकारात्मक प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। कन्या राशि के हिसाब से प्रेमपाल की प्रकृति कन्या राशि वालों के संपर्क में आने वाला प्रत्येक व्यक्ति यही समझता है कि उन्हें केवल उसी में सर्वाधिक रुचि है। कन्या राशि का व्यक्ति अत्यन्त रहस्यमय होता है। कन्या राशि वाले लोग बातें बनाने में कुशल तथा विनोद-प्रिय होते हैं। भूमि तत्व से संबंधित यह राशि सेवा, स्वास्थ्य एवं व्यवसाय आदि से संबंध रखती है। इस राशि के लोग अपनी निश्चित योजना की पूर्ति एवं कार्य करने में सफल रहते हैं। कन्या राशि के हिसाब से प्रेमपाल की सेहत कन्या राशि वालों का शरीर स्थूल होता है। अनियमित दिनचर्या एवं समय-असमय भोजन खाने के कारण पेट संबंधी रोगों से ग्रस्त रहते हैं। त्रिदोष (वात-पित्त-कफ) चर्म रोग, कर्ण रोग, भ्रांति, गले या नासिका रोग, उदर-विकार, मधुमेह, वायु-विकार, मंदाग्नि, संग्रहणी, चेचक, जड़ता, वाक्‌ रोग, कुष्ठ, दाद, पक्षाघात, पीठ का दर्द व जोड़ों का दर्द आदि रोगों से पीड़ित होते हैं। कन्या राशि के हिसाब से प्रेमपाल की कैरियर प्रोफ़ाइल कन्या राशि के लोगों में अपना स्वयं का व्यवसाय चलाने की योग्यता नहीं होती। ये अच्छे प्रशासक न होकर अच्छे अनुगामी होते हैं। इन्हें दूसरों के साथ सहभागी होकर ही व्यवसाय करना चाहिए। साथ ही अपने परिश्रमी स्वभाव, इच्छा-शक्ति और संकल्प के कारण व्यापार में भी सफल हो सकते हैं। कन्या राश...

प्रेमपाल शर्मा :: :: :: भूकंप :: कहानी

वह मेरा इतना गहरा दोस्‍त है कि मुझे लगातार यह भय बना रहता है कि मैं इस गहराई में अब डूबा कि तब। अब देखिए उसका फोन आया है कि मैं आना चाहता हूँ। 'अभी?' मैंने पूछा 'तो और क्‍या' उसका जवाब था। 'ऐं... ऐं... यदि शाम को आओ तो... कोई खास बात तो नहीं?' 'खास बात है तभी तो।' 'ठीक है फिर।' मुझे बलात कहना पड़ा। अजीब आदमी हैं ये मित्र भी। मैंने फोन इतनी जोर से पटका कि मानों ये सब कारिस्‍तानी इसी की हो। न चाहने के बावजूद भी मेरे गुस्‍से का पहला शिकार यह बेचारा टेलीफोन ही होता है। एक दिन ऐसे ही पटकने पर एक मित्र को कहना पड़ा - 'सरकारी है भाई! तोड़ो। दूसरा आ जाएगा।' कुछ दिन तो उसकी बातें टेलीफोन छूते समय याद रहीं पर फिर बेताल ताल पर। इन पत्रकारों ने कभी कुछ करके खाना सीखा हो तब न। टेलीफोन विभाग से मुफ्त टेलीफोन, रेलवे से फोकट के पास। डिफेंस से बोतलें और मकान तो पत्रकार - कोटे से मिला ही हुआ है। गुस्‍सा तो मेरे जैसे बाबू को ही आएगा जिसे कोई बोलने का मौका ही नहीं दे - घर हो या दफ्तर। मैंने एक नजर आज के महत्‍वपूर्ण कामों की सूची पर दौड़ाई। फाइलों को करीने से लगाया। घड़ी देखी - अब पहुँचने ही वाला होगा, यह सोचकर चपरासी को घंटी दी, 'भाई पानी-वानी भी भरकर रख दिया करो कभी?' बाबूलाल बिना बोले कमरे के एक कोने में रखे पानी के जग तक गया, 'पानी रखा है साब।' 'तो गिलासों में भरकर रख लो।' बाबूलाल ने पहले गिलासों की ओर देखा जो पहले से ही भरे रखे थे। फिर न जाने क्‍या सोचकर उठाकर निकल गया। वह बोलता तो भी मेरा जवाब पहले से तैयार था। 'ये सुबह से भरे रखे हैं। ताजा पानी रख दो। कोई साहब आने वाले हैं।' साहब बनने-बनाने का भी भारत सरकार में अपना ही मजा है। अपने-अपने दफ्तर में बाबू, दूसरों के यहाँ बड़े 'इत्‍ते बड्डे'...