नेत्र लेंस होता है

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Human Eye In Hindi: मानव नेत्र के बारे में संपूर्ण जानकारी तथा उससे जुड़े अनोखे तथ्य : FactZilla

Human eye hindi: मानव नेत्र के बिना मानव जीवन में अंधकार रह जाता है बिना मानव नेत्र के जीवन में रंगों की कल्पना नहीं की जा सकती है। तो में इस आर्टिकल में आपको बताऊंगा कि कैसे मानव नेत्रमानव मस्तिष्क के बाद सबसे शक्तिशाली अंग है। तथा कैसे मानव नेत्र एक वैज्ञानिक आश्चर्य है और साथ ही मानव नेत्र से जुड़े कुछ ऐसे अनोखे तथ्य के बारे में बताऊंगा जिनके बारे में शायद आपको मालूम ना हो। Table of Contents • • • • • About Human Eye In Hindi: मानव नेत्र के बारे में संपूर्ण जानकारी आँख मानव शरीर में पाए जाने वाले इंद्रिय अंगों में से एक है। यह एक फोटोग्राफिक कैमरे के बराबर है वैज्ञानिक और फोटोग्राफर डॉ रोजर क्लार्क के अनुसार, मानव आँख का संकल्प 576 मेगापिक्सेल है। जब आप iPhone 7 के कैमरे के 12 मेगापिक्सल से तुलना करते हैं तो यह बहुत बड़ा है। मानव नेत्र का कार्य तथा उसकी संरचना मानव अपनी आँखों का उपयोग सबसे अनमोल वस्तु के रूप में करता है, जितना वह अपनी आँख के लिए संवेदनशील होता है, उतना शायद किसी अन्य अंग के प्रति नहीं होता क्योंकि सभी देखने से जुड़े अनुभव मनुष्य को आँख के द्वारा ही होते हैं। मनुष्य की नेत्र की संरचना कैमरे की भांति कार्य करती है । आँख के गोलक का औसत व्यास 25 मिमी तथा भार 7 ग्राम के लगभग होता है । मनुष्य के चेहरे पर नाक के ऊपर दोनों ओर ललाट के नीचे दो छिद्र होते हैं, जिनको आँख का कोटर (Orbits) कहा जाता है। आँख के गोलक इन्हीं गड्डों में रहते हैं । इन्हें अपने स्थान पर दृढ़ता से स्थिर रखने के लिए प्रत्येक आँख में छोटी-छोटी छ: पेशियाँ होती हैं । ये पेशियाँ लचीली (Flexible) होती हैं । इनकी सहायता से हम आँखों को इधर-उधर घुमा सकते हैं। मानव नेत्र के महत्पूर्ण भाग श्वेतपटल– मानव ...

नेत्र की कार्य विधि , संरचना चित्र , लेंस , आँख की क्रियाविधि / देखने की प्रतिक्रिया eye working in hindi – 11th , 12th notes In hindi

नेत्र (eye) : बाह्य संरचना : मानव में एक जोड़ी नेत्र होते है , मानव में नेत्र कोठर स्थित होते है , नेत्र गोलक को कोठर में घूमने के लिए 6 प्रकार की पेशियाँ होती है। नेत्र 2.5 व्यास के नेत्र गोलक के रूप में होते है। नेत्र से संभावित सहायक संरचनाएँ पलकों बोरोनिया असरव ग्रंथियाँ आदि होते है , नवजात शिशु के चार महीने बाद असरु ग्रंथियों का संक्रियण होता है। असरु में लवण , श्लेष्मा व जीवाणुओं को नष्ट करने में लाइसोजाइम पाये जाते है। नेत्र गोलक खोखला व तीन स्तरीय होता है। 1. दृढ पटल (sclerotic coat) : यह सबसे बाहरी स्तर होता है। यह दो भागों में बंटा होता है – (A) बाहरी उभरा हुआ पारदर्शी भाग कोर्निया कहलाता है , यह नेत्र गोलक का 1/5 वा भाग होता है। (B) शेष 4/5 वा भाग नेत्र कोटर के अन्दर रहता है , यह तन्तुमय संयोजी उत्तक का बना होता है। कार्य • यह परत गोलक को सुरक्षा प्रदान करती है। • नेत्र गोलक को आकृति प्रदान करती है। • यह नेत्र पेशियों को संधि के लिए संधि स्थल प्रदान करती है। वस्तु से निकलने वाली प्रकाश किरणें जब नेत्र में प्रवेश करती है तो तेजो जल प्रकाश किरणों को अपवर्तित कर देता है , आइरिस से गुजरती हुई ये किरणें लेंस में से होकर गुजरती है तो लेन्स इन्हें अपनी ओर फोकस दुरी के अनुसार झुका देता है और अब ये किरणें दृष्टिपटल पर पड़कर वस्तु का उल्टा व वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाती है। दृष्टिपटल की संवेदी कोशिकाएँ उत्तेजित होकर दृक

[Solved] मानव नेत्र में किस प्रकार का लेंस उपस्थित होत�

अवधारणा- • मानव नेत्र में लेंस, एक पारभासी संरचना है जो नेत्रमें प्रवेश करने वाले प्रकाश को दृष्टिपटल (रेटिना) पर केंद्रित करती है। • यह नेत्र के परितारिका (आइरिस) के पीछे स्थितहोता है। • लेंस दुर्लभ लम्बी कोशिकाओं से बना होता है, जो आसपास के तरल पदार्थों से पोषक तत्व प्राप्त करते हैं, ज्यादातर नेत्रोद द्रव्य जो लेंस के अग्र भाग को गीला रखते हैं। • उपकला कोशिकाओं की एक परत और एक झिल्ली जो पूरे अंग को घेरे रहती है, लेंस के बाहरी किनारे को बनाती है। • लेंस उभयोत्तल और दीर्घवृत्तज होताहै। • एक दीर्घवृत्तज एक गोला होता है जिसे एक जैतून की तरह बढ़ा हुआ है, • यह उभयोत्तल है, जिसका अर्थ है कि यह दोनों तरफ से बाहर की ओर गोल है। • यह उभयोत्तल होता है, जिससे नेत्र में प्रवेश करनी वाली प्रकाश की किरणें सूक्ष्म समस्वरित होतीहैंऔरदृष्टिपटल पर एक ही बिंदु पर अभिसरित होती हैंऔर एक स्पष्ट छवि बनती है। • लेंस विभिन्न दूरी पर वस्तुओं की पारदर्शी छवियों को उत्पन्न करने के लिए (और दृष्टिपटल पर) प्रकाश किरणों को केंद्रित करता है। • पक्ष्माभी मांसपेशियां लेंस की वक्रता को नियंत्रित करती हैं, जो लचीली होती है। • समंजन क्षमता - • आवास अपनी फोकल लंबाई को बदलने के लिए नेत्र लेंस की प्रवृत्ति है। • लेंस सिकुड़ जाता है और मांसपेशियों को शिथिल कर देता है; नतीजतन, इस स्थिति में इसकी फोकल लंबाई बढ़ जाती है, जिससे हम दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। • जब आप किसी वस्तु को देखते हैं जो आपके नेत्र के करीब होती है, तो पक्ष्माभी मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे नेत्रलेंस की वक्रता बढ़ जाती है। नेत्रलेंस की फोकल लंबाई इस स्थिति में कम हो जाती है, जिससे हम आसपास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकत...

PHYSICS CLASS 10 CHAPTER 2 NOTES IN HINDI : (Human Eye and Colourful World): मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार Best science chapter 2 Notes - Learn with saif

Physics Class 10 Chapter 2 Notes in Hindi :BSEB Class 10th chapter 2 Notes in Hindi: PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार(Human Eye and Colourful World) class 10 chapter 2 notes in Hindi NCERT notes class 10th chapter 2 class 10 physics chapter 1 notes in Hindi:PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI physics class 10 chapter 2 pdf 10th class notes class 10 science notes chapter 1 class 10 physics chapter 3 10 science notes in hindi • PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI’ PHYSICS CLASS 10TH CHAPTER 2 NOTES IN HINDI हम आपके लिए इस chapter मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार(Human Eye and Colourful World) में कम समय में परिक्षा की तैयारी करने के लिए शाँट नोट्स लाए है। जिनसे आप अपनी परिक्षा की तैयारी कम से कम समय में कर पायेंगे । इस पोस्ट में हमने इस chapter का हरेक point को आसान भाषा में cover कियें है जो आप कभी नहीं भुल पाएंगे । Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Physics Class 10 Chapter 2 Notes in Hindi मानव नेत्र तथा रंग बिरंगा संसार(Human Eye and Colourful World) प्रकाशीय यंत्र(Optical Instrument) दूर स्थित तथा निकट स्थित वस्तुओं के प्रतिबिंब को स्पष्ट प्राप्त करने के लिए जिस यंत्र का प्रयोग किया जाता है प्रकाशीय यंत्र कहलाता है| मानव नेत्र • य क्षेत्र अधिकतम 360-degree हो जाता है • मानव नेत्र की रेटीना पर वस्तु का स्थाई प्रतिबिंब 1/10 sec का होता है दृष्टि विस्तार निकट बिंदु एवं दूर बिंदु के बीच की दूरी को दृष्टि विस्तार कहते हैं| दृष्टि दोष लेंस से दूर स्...

[Solved] मानव नेत्र में किस प्रकार का लेंस उपस्थित होत�

अवधारणा- • मानव नेत्र में लेंस, एक पारभासी संरचना है जो नेत्रमें प्रवेश करने वाले प्रकाश को दृष्टिपटल (रेटिना) पर केंद्रित करती है। • यह नेत्र के परितारिका (आइरिस) के पीछे स्थितहोता है। • लेंस दुर्लभ लम्बी कोशिकाओं से बना होता है, जो आसपास के तरल पदार्थों से पोषक तत्व प्राप्त करते हैं, ज्यादातर नेत्रोद द्रव्य जो लेंस के अग्र भाग को गीला रखते हैं। • उपकला कोशिकाओं की एक परत और एक झिल्ली जो पूरे अंग को घेरे रहती है, लेंस के बाहरी किनारे को बनाती है। • लेंस उभयोत्तल और दीर्घवृत्तज होताहै। • एक दीर्घवृत्तज एक गोला होता है जिसे एक जैतून की तरह बढ़ा हुआ है, • यह उभयोत्तल है, जिसका अर्थ है कि यह दोनों तरफ से बाहर की ओर गोल है। • यह उभयोत्तल होता है, जिससे नेत्र में प्रवेश करनी वाली प्रकाश की किरणें सूक्ष्म समस्वरित होतीहैंऔरदृष्टिपटल पर एक ही बिंदु पर अभिसरित होती हैंऔर एक स्पष्ट छवि बनती है। • लेंस विभिन्न दूरी पर वस्तुओं की पारदर्शी छवियों को उत्पन्न करने के लिए (और दृष्टिपटल पर) प्रकाश किरणों को केंद्रित करता है। • पक्ष्माभी मांसपेशियां लेंस की वक्रता को नियंत्रित करती हैं, जो लचीली होती है। • समंजन क्षमता - • आवास अपनी फोकल लंबाई को बदलने के लिए नेत्र लेंस की प्रवृत्ति है। • लेंस सिकुड़ जाता है और मांसपेशियों को शिथिल कर देता है; नतीजतन, इस स्थिति में इसकी फोकल लंबाई बढ़ जाती है, जिससे हम दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। • जब आप किसी वस्तु को देखते हैं जो आपके नेत्र के करीब होती है, तो पक्ष्माभी मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे नेत्रलेंस की वक्रता बढ़ जाती है। नेत्रलेंस की फोकल लंबाई इस स्थिति में कम हो जाती है, जिससे हम आसपास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकत...

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नेत्र (eye) : बाह्य संरचना : मानव में एक जोड़ी नेत्र होते है , मानव में नेत्र कोठर स्थित होते है , नेत्र गोलक को कोठर में घूमने के लिए 6 प्रकार की पेशियाँ होती है। नेत्र 2.5 व्यास के नेत्र गोलक के रूप में होते है। नेत्र से संभावित सहायक संरचनाएँ पलकों बोरोनिया असरव ग्रंथियाँ आदि होते है , नवजात शिशु के चार महीने बाद असरु ग्रंथियों का संक्रियण होता है। असरु में लवण , श्लेष्मा व जीवाणुओं को नष्ट करने में लाइसोजाइम पाये जाते है। नेत्र गोलक खोखला व तीन स्तरीय होता है। 1. दृढ पटल (sclerotic coat) : यह सबसे बाहरी स्तर होता है। यह दो भागों में बंटा होता है – (A) बाहरी उभरा हुआ पारदर्शी भाग कोर्निया कहलाता है , यह नेत्र गोलक का 1/5 वा भाग होता है। (B) शेष 4/5 वा भाग नेत्र कोटर के अन्दर रहता है , यह तन्तुमय संयोजी उत्तक का बना होता है। कार्य • यह परत गोलक को सुरक्षा प्रदान करती है। • नेत्र गोलक को आकृति प्रदान करती है। • यह नेत्र पेशियों को संधि के लिए संधि स्थल प्रदान करती है। वस्तु से निकलने वाली प्रकाश किरणें जब नेत्र में प्रवेश करती है तो तेजो जल प्रकाश किरणों को अपवर्तित कर देता है , आइरिस से गुजरती हुई ये किरणें लेंस में से होकर गुजरती है तो लेन्स इन्हें अपनी ओर फोकस दुरी के अनुसार झुका देता है और अब ये किरणें दृष्टिपटल पर पड़कर वस्तु का उल्टा व वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाती है। दृष्टिपटल की संवेदी कोशिकाएँ उत्तेजित होकर दृक

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