जैविक उर्वरक के नाम

  1. CM Ashok Gehlot made a big announcement for 50 thousand farmers 5 5 thousand will come in their account
  2. [ जैविक उर्वरक के नाम 2023 ] जानिए जैविक उर्वरक क्या है, परिभाषा, जैव उर्वरक कितने प्रकार के होते हैं
  3. उर्वरक
  4. एपिफाइटिक पौधे: तथ्य, विकास, देखभाल, उपयोग, लाभ
  5. राजस्‍थान में 1.20 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र जैविक खेती के लिए होगा चिह्नित – ThePrint Hindi
  6. English to Hindi Transliterate
  7. [ जैविक उर्वरक के नाम 2023 ] जानिए जैविक उर्वरक क्या है, परिभाषा, जैव उर्वरक कितने प्रकार के होते हैं
  8. एपिफाइटिक पौधे: तथ्य, विकास, देखभाल, उपयोग, लाभ
  9. उर्वरक
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CM Ashok Gehlot made a big announcement for 50 thousand farmers 5 5 thousand will come in their account

Jaipur: राजस्थान में जैविक खेती (Organic farming) के बढ़ावा देने के लिए गहलोत सरकार की ओर से बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने 1.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती में परिवर्तित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. इसके तहत किसानों को जैविक बीज, जैव उर्वरक और कीटनाशी उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके लिए किसानों को 5 हजार रुपए दिए जाएंगे. जैविक खेती के लिए गहलोत सरकार दे रही अनुदान बताया जा रहा है कि इस साल 1.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती में परिवर्तित कर कृषकों को लाभ दिलाने का प्रयास किया जाएगा. इसमें लगभग 23.57 करोड़ रुपए की लागत आएगी. इसी प्रकार, 50 हजार किसानों को जैविक खेती (Organic farming) के लिए प्रति किसान 5000 रुपए का अनुदान भी दिया जाएगा. इस पैसे से कृषक खेतों की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए कार्य करेंगे. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से परियोजना प्रतिवेदन की स्वीकृति मिलने तक कृषक चयन, कृषक समूह गठन और मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षण आदि गतिविधियों के लिए राज्य निधि से 5 करोड़ रुपए की भी स्वीकृति दी है. मण्डलनाथ जंक्शन से नागौर रोड़ तक सड़क का सुदृढ़ीकरण मजबूत सड़क तंत्र के लिए राजस्थान सरकार प्रदेश में सड़कों को मजबूत कर रही है. जिसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने मण्डलनाथ जंक्शन (Mandalnath Junction) से नागौर रोड़ वाया करवड़ (जोधपुर) सड़क सुदृढ़ीकरण के लिए 9.24 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. सीएम गहलोत (CM Gehlot) के इस निर्णय से मण्डलनाथ जंक्शन (Mandalnath Junction) से नागौर रोड़ तक की सड़क पर विभिन्न निर्माण कार्य कराए जा सकेंगे. बता दें कि मुख्यमंत्र...

[ जैविक उर्वरक के नाम 2023 ] जानिए जैविक उर्वरक क्या है, परिभाषा, जैव उर्वरक कितने प्रकार के होते हैं

जैविक खेती आधारित, कृषि को बढ़ावा देने के लिए जैव उर्वरक का महत्व बढ़ता जा रहा है | बाजार में आज के समय कई प्रकार के जैविक उत्पादों को लाकर किसानों को बेचा जा रहा है | किसानों को जैविक उर्वरक के नाम और महत्व बताया जा रहा है, क्योंकि किसान रासायनिक खादों का लगातार उपयोग कर रहे, जिससे हमारी कृषि भूमि व वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है| यदि किसान भाई जैविक उर्वरक का उपयोग करना शुरू कर दे, तो इससे खेती एव फसलों में प्रदूषण भी काफी हद तक कम हो सकता है| आपकी जानकारी के लिए बता दे की जैविक उर्वरक एक ऐसा उर्वरक है, जो जैविक स्त्रोत से प्राप्त होता है | जैविक खाद, मुर्गी पालन, पशु खाद तथा घरेलू सीवेज शामिल है, यह उर्वरक सभी फसलों के लिए लाभदायक साबित होगा | 12.2 सबसे अच्छा जैविक उर्वरक कौन सा है? जैविक उर्वरक क्या है/किसे कहते हैं ? जैविक उर्वरक एक प्रकार के जीव(कवक तथा सायनोबेक्टरीय) होते है, जो मृदा की पोषण गुणवता को बढ़ाता है| यह जीवाणु कवक तथा सायनोबेक्टरीय के मुख्य स्त्रोत होते है| जैविक उर्वरक एक ऐसी सामग्री है, जिसे पौधों के समुचित विकास के लिए तथा पोषण तत्व प्रदान करने के लिए मिट्टी या पौधों पर उपयोग किया जा सकता है | टॉप जैविक उर्वरक के नाम 2023 – एजोटोबैक्टर जैव उर्वरक – यह उर्वरक खेतों की मिट्टी /मृदा में पाया जाता है | एक मृतजीवी जीवाणु है, जो की अदलहनी फसलों में नाइट्रोजन स्थिकरण में सहायक होता है | राइजोबियम जैव उर्वरक – रिजोबियम जैव उर्वरक का उपयोग दलहनी फसलों में किया जाता है और मिट्टी तथा बीज के उपचार के लिए इसका उपयोग भी किया जाता है | नील हरित शैवाल जैव उर्वरक – मिट्टी और फसलों को नत्रजन दिलाने का प्रमुख साधन है | माइक्रोफॉस जैव उर्वरक –इस उर्वरक के उपयोग से फास...

उर्वरक

अनुक्रम • 1 उर्वरक का वर्गीकरण • 2 पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व • 2.1 मुख्य तत्व • 2.2 द्वितीयक पोषक तत्व • 2.3 सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्युट्रिएन्ट्स) • 3 सीमाएं • 4 प्रमुख रासायनिक उर्वरक • 4.1 यूरिया • 4.1.1 यूरिया खाद के फायदे • 4.2 डाई अमोनियम फास्फेट (डी.ए.पी.) • 4.2.1 डी.ए.पी. खाद के फायदे [1] • 4.3 सुपर फास्फेट • 4.4 जिंक सल्फेट • 4.5 पोटाश खाद • 5 उत्पादन • 6 भारत के प्रमुख उर्वरक कारखाने • 7 खाद डालने की मुख्य विधियाँ • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कड़ियाँ उर्वरक का वर्गीकरण [ ] • कार्बनिक/जैविक उर्वरक (कम्पोस्ट, यूरिया) या अकार्बनिक उर्वरक (अमोनियम नाइट्रेट) • प्राकृतिक (पीट) या कृत्रिम उर्वरक (सुपर फॉस्फेट) पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व [ ] मुख्य तत्व [ ] पौधों के लिये तीन प्रमुख पोषक तत्व हैं: • • • द्वितीयक पोषक तत्व [ ] • • • सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्युट्रिएन्ट्स) [ ] • • • • • • • मॉलीब्लेडनम् • सेलेनियम (केवल कुछ देशों में) सीमाएं [ ] उर्वरक, पौधों के लिये आवश्यक तत्वों की तत्काल पूर्ति के साधन हैं लेकिन इनके प्रयोग के कुछ दुष्परिणाम भी हैं। ये लंबे समय तक मिट्टी में बने नहीं रहते हैं। सिंचाई के बाद जल के साथ ये रसायन जमीन के नीचे भौम जलस्तर तक पहुँचकर उसे दूषित करते हैं। मिट्टी में उपस्थित जीवाणुओं और सुक्ष्मजीवों के लिए भी ये घातक साबित होते हैं। भारत में रासायनिक खाद का सर्वाधिक प्रयोग पंजाब में होता है। वर्तमान समय में वहाँ पानी का जलस्तर एवं मृदा की पोषकता में भारी कमी देखी गई है। इसके साथ ही मृदा तथा उपज में हानीकारक रसायनों की मात्रा में बहुत वृद्दी पाई गई है। इसलिए उर्वरक के विकल्प के रूप में जैविक खाद का प्रयोग तेजी से लोकप्रीय हो रहा है। प...

एपिफाइटिक पौधे: तथ्य, विकास, देखभाल, उपयोग, लाभ

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • एपिफाइटिक पौधे: मुख्य तथ्य सामान्य प्रकार: एंजियोस्पर्म, मॉस, फ़र्न, लिवरवॉर्ट्स जैविक नाम: एपिफाइट्स प्रकार: रसीला फूल: ऑर्किड और उपलब्ध किस्में: 22,000 से अधिक के रूप में भी जाना जाता है: वायु पौधे मौसम: पूरे साल सूरज का संपर्क: 6-8 घंटे दैनिक पानी: 2- सप्ताह में 4 बार आदर्श तापमान: 60 से 80 डिग्री फारेनहाइट मिट्टी पीएच और प्रकार: तटस्थ मिट्टी बुनियादी आवश्यकताएं: रुक-रुक कर पानी देना, सीधी धूप, सभी उद्देश्य के लिए तरल उर्वरक रखरखाव: बहुत कम (आर्किड को छोड़कर) यह सभी देखें: data-saferedirecturl="https://www.google.com/url?q=https://housing.com/news/hibiscus/&source=gmail&ust=1667623640772000&usg=AOvVaw19Hwl0osa79B6TxmaKYAGA"> गुड़हल क्या है और इसे अपने घर में कैसे उगाएं घर? लिविंग ऑन एयर: एपिफाइटिक पौधों की खोज एपिफाइटिक पौधे बिना मिट्टी के उगते हैं। वे उष्णकटिबंधीय वर्षावनों, मेघ वनों और यहां तक कि रेगिस्तानों में पेड़ों और चट्टानों से चिपक जाते हैं। ये अपने पोषक तत्व और पानी हवा और बारिश से हवाई जड़ों और पानी को अवशोषित करने वाले तराजू की मदद से प्राप्त करते हैं। मेदिनीला नमूना हॉर्न स्पाइक्स आर्किड फूल Dischidia oiantha Schltr एपिफाइटिक पौधे: विशिष्ट विशेषताएं एक एपिफाइटिक पौधा जमीन पर नहीं उगता है और प्रत्यक्ष पोषक स्रोतों पर निर्भर नहीं होता है। वे ज्यादातर घने उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ऊंचे पेड़ों पर पाए जाते हैं, जिससे उन्हें पर्याप्त धूप मिलती है। ये पौधे पत्तियों और अन्य जैविक मलबे से पोषक तत्व इकट्ठा करते हैं जो पेड़ के शीर्ष पर जमा होते हैं। स्रोत: Pinterest एपिफाइटिक पौधों की वृद्धि नमी पर बहुत नि...

राजस्‍थान में 1.20 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र जैविक खेती के लिए होगा चिह्नित – ThePrint Hindi

जयपुर, 10 जून (भाषा) राजस्‍थान में 1.20 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को जैविक खेती के लिए चिह्नित किया जाएगा। इसके तहत किसानों को जैविक बीज, जैव उर्वरक एवं कीटनाशक उपलब्ध कराए जाएंगे। एक सरकारी बयान के अनुसार, राज्‍य सरकार द्वारा जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 1.20 लाख हैक्टेयर क्षेत्र को जैविक क्षेत्र में परिवर्तित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत किसानों को जैविक बीज, जैव उर्वरक एवं कीटनाशी उपलब्ध कराए जाएंगे। बयान में कहा गया कि इस वर्ष 1.20 लाख हैक्टेयर क्षेत्र को जैविक क्षेत्र में परिवर्तित कर कृषकों को लाभान्वित किया जाएगा। इसमें लगभग 23.57 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसी प्रकार, 50 हजार कृषकों को जैविक खेती हेतु प्रति कृषक 5,000 रुपये का अनुदान भी दिया जाएगा। इस राशि से कृषक खेतों की उर्वरकता बढ़ाने के लिए कार्य करेंगे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से परियोजना प्रतिवेदन की स्वीकृति प्राप्त होने तक कृषक चयन, कृषक समूह गठन, मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षण आदि गतिविधियों के लिए राज्य निधि से पांच करोड़ रुपये की भी स्वीकृति प्रदान की है। भाषा पृथ्‍वी अनुराग पाण्डेय पाण्डेय यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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परिचय मिट्टी में लगातार रसायनों के छिड़काव एवं रासायनिक उर्वरकों की बढ़ती मांग ने पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी घटाया है| इन रसायनों के प्रभाव से मिट्टी को उर्वरकता प्रदान करने वाले सूक्ष्म जीवों की संख्या में अत्यधिक कमी हो गयी है| जैसे कि, हवा से नाइट्रोजन खींचकर जमीन में स्थिरीकरण करनेवाले जीवाणु राइजोबियम, एजेटोबैक्टर, एजोस्पाइरलम, फास्फेट व पोटाश घोलनशील जीवाणु आदि| इसलिए मिट्टी में इन जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने हेतु इनके कल्चर का उपयोग जैविक खादों के साथ मिलाकर किया जाता है| किसी विशिष्ट उपयोगी जीवाणु/कवक/फुन्फंद/ को उचित माध्यम में (जो कि साधरणतः ग्रेनाइट या लिग्नाइट का चुरा होता है) ये जीवाणु 6 माह से एक वर्ष तक जीवित रह सकते हैं| सामान्यतः अधिक गर्मी (40 से ऊपर) में ये जीवाणु मर जाते हैं| जीवाणु कल्चर का भंडारण सावधानी पूर्वक शुष्क एवं ठंडी जगह पर करना चाहिए| जीवाणु कल्चर को बीज या जैविक खादों के साथ मिलाकर मिट्टी में मिलाने पर खेत में इन जीवाणुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है और नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश आदि तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि होती है| नाइट्रोजन हेतु राइजोबियम, एजेटोबैक्टर, एसेटोबैक्टर, तथा फोस्फोरस हेतु फोस्फेट घोलनशील जीवाणु कल्चर का प्रयोग किया जाता है| जैव-उर्वरक विभिन्न प्रकार के मिट्टी जनित रोगों के नियंत्रण में सहायक सिद्ध होते हैं| इसके अतिरिक्त जैव उर्वरकों से किसी भी प्रकार का प्रदुषण नहीं फैलता है और इसका कोई दुष्परिणाम भी देखने में नहीं आया है और न ही इसका प्रयोग करनेवालों पर इनका कोई दुष्प्रभाव देखा गया है| जैव-उर्वरकों के उपयोग करने से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता में कमी देखी जा सकती है| पिछले कुछ...

[ जैविक उर्वरक के नाम 2023 ] जानिए जैविक उर्वरक क्या है, परिभाषा, जैव उर्वरक कितने प्रकार के होते हैं

जैविक खेती आधारित, कृषि को बढ़ावा देने के लिए जैव उर्वरक का महत्व बढ़ता जा रहा है | बाजार में आज के समय कई प्रकार के जैविक उत्पादों को लाकर किसानों को बेचा जा रहा है | किसानों को जैविक उर्वरक के नाम और महत्व बताया जा रहा है, क्योंकि किसान रासायनिक खादों का लगातार उपयोग कर रहे, जिससे हमारी कृषि भूमि व वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है| यदि किसान भाई जैविक उर्वरक का उपयोग करना शुरू कर दे, तो इससे खेती एव फसलों में प्रदूषण भी काफी हद तक कम हो सकता है| आपकी जानकारी के लिए बता दे की जैविक उर्वरक एक ऐसा उर्वरक है, जो जैविक स्त्रोत से प्राप्त होता है | जैविक खाद, मुर्गी पालन, पशु खाद तथा घरेलू सीवेज शामिल है, यह उर्वरक सभी फसलों के लिए लाभदायक साबित होगा | 12.2 सबसे अच्छा जैविक उर्वरक कौन सा है? जैविक उर्वरक क्या है/किसे कहते हैं ? जैविक उर्वरक एक प्रकार के जीव(कवक तथा सायनोबेक्टरीय) होते है, जो मृदा की पोषण गुणवता को बढ़ाता है| यह जीवाणु कवक तथा सायनोबेक्टरीय के मुख्य स्त्रोत होते है| जैविक उर्वरक एक ऐसी सामग्री है, जिसे पौधों के समुचित विकास के लिए तथा पोषण तत्व प्रदान करने के लिए मिट्टी या पौधों पर उपयोग किया जा सकता है | टॉप जैविक उर्वरक के नाम 2023 – एजोटोबैक्टर जैव उर्वरक – यह उर्वरक खेतों की मिट्टी /मृदा में पाया जाता है | एक मृतजीवी जीवाणु है, जो की अदलहनी फसलों में नाइट्रोजन स्थिकरण में सहायक होता है | राइजोबियम जैव उर्वरक – रिजोबियम जैव उर्वरक का उपयोग दलहनी फसलों में किया जाता है और मिट्टी तथा बीज के उपचार के लिए इसका उपयोग भी किया जाता है | नील हरित शैवाल जैव उर्वरक – मिट्टी और फसलों को नत्रजन दिलाने का प्रमुख साधन है | माइक्रोफॉस जैव उर्वरक –इस उर्वरक के उपयोग से फास...

एपिफाइटिक पौधे: तथ्य, विकास, देखभाल, उपयोग, लाभ

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • एपिफाइटिक पौधे: मुख्य तथ्य सामान्य प्रकार: एंजियोस्पर्म, मॉस, फ़र्न, लिवरवॉर्ट्स जैविक नाम: एपिफाइट्स प्रकार: रसीला फूल: ऑर्किड और उपलब्ध किस्में: 22,000 से अधिक के रूप में भी जाना जाता है: वायु पौधे मौसम: पूरे साल सूरज का संपर्क: 6-8 घंटे दैनिक पानी: 2- सप्ताह में 4 बार आदर्श तापमान: 60 से 80 डिग्री फारेनहाइट मिट्टी पीएच और प्रकार: तटस्थ मिट्टी बुनियादी आवश्यकताएं: रुक-रुक कर पानी देना, सीधी धूप, सभी उद्देश्य के लिए तरल उर्वरक रखरखाव: बहुत कम (आर्किड को छोड़कर) यह सभी देखें: data-saferedirecturl="https://www.google.com/url?q=https://housing.com/news/hibiscus/&source=gmail&ust=1667623640772000&usg=AOvVaw19Hwl0osa79B6TxmaKYAGA"> गुड़हल क्या है और इसे अपने घर में कैसे उगाएं घर? लिविंग ऑन एयर: एपिफाइटिक पौधों की खोज एपिफाइटिक पौधे बिना मिट्टी के उगते हैं। वे उष्णकटिबंधीय वर्षावनों, मेघ वनों और यहां तक कि रेगिस्तानों में पेड़ों और चट्टानों से चिपक जाते हैं। ये अपने पोषक तत्व और पानी हवा और बारिश से हवाई जड़ों और पानी को अवशोषित करने वाले तराजू की मदद से प्राप्त करते हैं। मेदिनीला नमूना हॉर्न स्पाइक्स आर्किड फूल Dischidia oiantha Schltr एपिफाइटिक पौधे: विशिष्ट विशेषताएं एक एपिफाइटिक पौधा जमीन पर नहीं उगता है और प्रत्यक्ष पोषक स्रोतों पर निर्भर नहीं होता है। वे ज्यादातर घने उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ऊंचे पेड़ों पर पाए जाते हैं, जिससे उन्हें पर्याप्त धूप मिलती है। ये पौधे पत्तियों और अन्य जैविक मलबे से पोषक तत्व इकट्ठा करते हैं जो पेड़ के शीर्ष पर जमा होते हैं। स्रोत: Pinterest एपिफाइटिक पौधों की वृद्धि नमी पर बहुत नि...

उर्वरक

अनुक्रम • 1 उर्वरक का वर्गीकरण • 2 पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व • 2.1 मुख्य तत्व • 2.2 द्वितीयक पोषक तत्व • 2.3 सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्युट्रिएन्ट्स) • 3 सीमाएं • 4 प्रमुख रासायनिक उर्वरक • 4.1 यूरिया • 4.1.1 यूरिया खाद के फायदे • 4.2 डाई अमोनियम फास्फेट (डी.ए.पी.) • 4.2.1 डी.ए.पी. खाद के फायदे [1] • 4.3 सुपर फास्फेट • 4.4 जिंक सल्फेट • 4.5 पोटाश खाद • 5 उत्पादन • 6 भारत के प्रमुख उर्वरक कारखाने • 7 खाद डालने की मुख्य विधियाँ • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कड़ियाँ उर्वरक का वर्गीकरण [ ] • कार्बनिक/जैविक उर्वरक (कम्पोस्ट, यूरिया) या अकार्बनिक उर्वरक (अमोनियम नाइट्रेट) • प्राकृतिक (पीट) या कृत्रिम उर्वरक (सुपर फॉस्फेट) पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व [ ] मुख्य तत्व [ ] पौधों के लिये तीन प्रमुख पोषक तत्व हैं: • • • द्वितीयक पोषक तत्व [ ] • • • सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्युट्रिएन्ट्स) [ ] • • • • • • • मॉलीब्लेडनम् • सेलेनियम (केवल कुछ देशों में) सीमाएं [ ] उर्वरक, पौधों के लिये आवश्यक तत्वों की तत्काल पूर्ति के साधन हैं लेकिन इनके प्रयोग के कुछ दुष्परिणाम भी हैं। ये लंबे समय तक मिट्टी में बने नहीं रहते हैं। सिंचाई के बाद जल के साथ ये रसायन जमीन के नीचे भौम जलस्तर तक पहुँचकर उसे दूषित करते हैं। मिट्टी में उपस्थित जीवाणुओं और सुक्ष्मजीवों के लिए भी ये घातक साबित होते हैं। भारत में रासायनिक खाद का सर्वाधिक प्रयोग पंजाब में होता है। वर्तमान समय में वहाँ पानी का जलस्तर एवं मृदा की पोषकता में भारी कमी देखी गई है। इसके साथ ही मृदा तथा उपज में हानीकारक रसायनों की मात्रा में बहुत वृद्दी पाई गई है। इसलिए उर्वरक के विकल्प के रूप में जैविक खाद का प्रयोग तेजी से लोकप्रीय हो रहा है। प...

English to Hindi Transliterate

परिचय मिट्टी में लगातार रसायनों के छिड़काव एवं रासायनिक उर्वरकों की बढ़ती मांग ने पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी घटाया है| इन रसायनों के प्रभाव से मिट्टी को उर्वरकता प्रदान करने वाले सूक्ष्म जीवों की संख्या में अत्यधिक कमी हो गयी है| जैसे कि, हवा से नाइट्रोजन खींचकर जमीन में स्थिरीकरण करनेवाले जीवाणु राइजोबियम, एजेटोबैक्टर, एजोस्पाइरलम, फास्फेट व पोटाश घोलनशील जीवाणु आदि| इसलिए मिट्टी में इन जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने हेतु इनके कल्चर का उपयोग जैविक खादों के साथ मिलाकर किया जाता है| किसी विशिष्ट उपयोगी जीवाणु/कवक/फुन्फंद/ को उचित माध्यम में (जो कि साधरणतः ग्रेनाइट या लिग्नाइट का चुरा होता है) ये जीवाणु 6 माह से एक वर्ष तक जीवित रह सकते हैं| सामान्यतः अधिक गर्मी (40 से ऊपर) में ये जीवाणु मर जाते हैं| जीवाणु कल्चर का भंडारण सावधानी पूर्वक शुष्क एवं ठंडी जगह पर करना चाहिए| जीवाणु कल्चर को बीज या जैविक खादों के साथ मिलाकर मिट्टी में मिलाने पर खेत में इन जीवाणुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है और नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश आदि तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि होती है| नाइट्रोजन हेतु राइजोबियम, एजेटोबैक्टर, एसेटोबैक्टर, तथा फोस्फोरस हेतु फोस्फेट घोलनशील जीवाणु कल्चर का प्रयोग किया जाता है| जैव-उर्वरक विभिन्न प्रकार के मिट्टी जनित रोगों के नियंत्रण में सहायक सिद्ध होते हैं| इसके अतिरिक्त जैव उर्वरकों से किसी भी प्रकार का प्रदुषण नहीं फैलता है और इसका कोई दुष्परिणाम भी देखने में नहीं आया है और न ही इसका प्रयोग करनेवालों पर इनका कोई दुष्प्रभाव देखा गया है| जैव-उर्वरकों के उपयोग करने से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता में कमी देखी जा सकती है| पिछले कुछ...