हिंदी भाषा का जन्म हुआ है?

  1. हिन्दी भाषा की उत्पत्ति और विकास PDF Hindi – InstaPDF
  2. किस भाषा को हिन्दी की जननी कहा जाता है?
  3. हिन्दी
  4. हिन्दी भाषा का उद्भव एवं विकास। Origin and development of Hindi language
  5. हिन्दी भाषा का उद्भव एवं विकास । भाषा: अर्थ एवं परिभाषा। Origin and development of Hindi language
  6. हिंदी भाषा का उद्भव और विकास
  7. हिंदी भाषा का हमारे जीवन में क्या महत्व होता है?


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हिन्दी भाषा की उत्पत्ति और विकास PDF Hindi – InstaPDF

हिन्दी भाषा की उत्पत्ति और विकास हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप हिन्दी भाषा की उत्पत्ति और विकास हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं हिन्दी भाषा की उत्पत्ति और विकास के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। हिंदी भाषा की उत्पत्ति से आशय उस काल से है जब मानव ने बोलना आरम्भ किया और ‘भाषा’ सीखना आरम्भ किया। इस विषय में बहुत सी संकल्पनाएं हैं जो अधिकांशतः अनुमान पर आधारित हैं। मानव के इतिहास में यह काल इतना पहले आरम्भ हुआ कि इसके विकास से सम्बन्धित कोई भी संकेत मिलने असम्भव हैं। हिंदी वस्तुत: फारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है – हिंदी का या हिन्द से सम्बंधित (शब्द हिंदी नहीं शब्द हिन्द फारसी का है) हिंदी शब्द की निष्पत्ति सिंधु – सिंध से हुई है क्योकि ईरानी भाषा ‘स’ को ‘ह’ बोला जाता है। इस प्रकार हिंदी शब्द वास्तव में सिंधु शब्द का प्रतिरूप है। कालांतर में हिन्द शब्द सम्पूर्ण भारत का पर्याय बनकर उभरा। हिन्दी भाषा की उत्पत्ति और विकास पीडीएफ़ संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है, जिसे आर्य भाषा या देवभाषा भी कहा जाता है। हिंदी इसी आर्य भाषा संस्कृत की उत्तराधिकारिणी मानी जाती है, साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि हिंदी का जन्म संस्कृत की ही कोख से हुआ है। भारत में संस्कृत 1500 ई. पू, से 1000 ई. पूर्व तक रही, ये भाषा दो भागों में विभाजित हुई- वैदिक और लौकिक। मूल रूप से वेदों की रचना जिस भाषा में हुई उसे वैदिक संस्कृत कहा जाता है, जिसमें वेद और उपनिषद का जिक्र आता है, जबकि लौकिक संस्कृत में दर्शन ग्रंथों का जिक्र आता है। इस भाषा में रामायण, महाभारत, नाटक, व्याकरण आदि ग्र...

किस भाषा को हिन्दी की जननी कहा जाता है?

Correct Answer - Option 1 : संस्कृत दिए गए विकल्पों में उचित उत्तर विकल्प 1'संस्कृत ’ है। इसके अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं। • हिंदी भाषा की जननी संस्कृत भाषा ही है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि अगर हम प्रतिदिन अगर शुद्ध हिंदी बोलते हैं तो हम 75% संस्कृत बोलते हैं उसमे। • तो स्वाभाविक है कि संस्कृत भाषा से ही हिंदी भाषा का जन्म हुआ है। • इसलिए 'संस्कृत' इसका सही उत्तर है। • अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं। अन्य विकल्प: • बंगाली - बंगाली भाषा हिन्द आर्य भाषा है जो प्राकृत के समान है। यह 11वीं से 13वीं सदी के मध्य संस्कृत भाषा से निकली थी। ऐसा माना जाता है कि यह तीन भाषा समूह में अलग हो गई। जिसमें बंगाली, असमी और ओड़िया शामिल है। • अंग्रेजी - अंग्रेजी भाषा हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। • उर्दू - उर्दू में संस्कृत के तत्सम शब्द न्यून हैं और अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक हैं। ये मुख्यतः दक्षिण एशिया में बोली जाती है। यह भारत की शासकीय भाषाओं में से एक है। • भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं और इसके लिये हम वाचिक ध्वनियों का प्रयोग करते हैं। • सामान्यतः भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। • भाषा आभ्यंतर अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। Categories • • (31.9k) • (8.8k) • (764k) • (248k) • (2.9k) • (5.2k) • (664) • (121k) • (72.1k) • (3.8k) • (19.6k) • (1.4k) • (14.2k) • (12.5k) • (9.3k) • (7.7k) • (3.9k) • (6.7k) • (63.8k) • (26.6k) • (23.7k) • (14.6k) • (25.7k) • (530) • (84) • (766) •...

हिन्दी

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में हिंदी के प्रथम भाषा स्व-रिपोर्ट किए गए वक्ताओं का वितरण। हिन्दी जिसके मानकीकृत रूप को मानक हिन्दी कहा जाता है, विश्व की एक प्रमुख एथनोलॉग के अनुसार हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' ( एथ्नोलॉग (2022, 25वां संस्करण) की रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में हिंदी को प्रथम और द्वितीय भाषा के रूप में बोलने वाले लोगों की संख्या के आधार पर हिंदी विश्व की की अनुक्रम • 1 नामोत्पत्ति • 2 भाषायी उत्पत्ति और इतिहास • 3 शैलियाँ • 3.1 हिन्दी एवं उर्दू • 3.2 मानकीकरण • 4 बोलियाँ • 5 लिपि • 6 शब्दावली • 7 हिन्दी स्वरविज्ञान • 7.1 स्वर • 7.2 व्यंजन • 7.3 विदेशी ध्वनियाँ • 8 व्याकरण • 9 जनसांख्यिकी • 10 भारत में उपयोग • 10.1 सम्पर्क भाषा • 10.2 राजभाषा • 10.3 राष्ट्रभाषा • 10.4 पूर्वोत्तर भारत में • 11 भारत के बाहर • 12 डिजिटिकरण और कम्प्यूटर क्रान्ति • 13 जनसंचार • 14 इन्हें भी देखें • 15 सन्दर्भ • 16 बाहरी कड़ियाँ नामोत्पत्ति इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (फरवरी 2021) स्रोत खोजें: · · · · हिन्दी शब्द का सम्बन्ध उर्दू लेखकों ने 19वीं सदी की सूचना तक अपनी भाषा को हिंदी या हिंदवी के रूप में संदर्भित करते रहे। प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने अपने "हिन्दी एवं उर्दू का अद्वैत" शीर्षक आलेख में हिन्दी की व्युत्पत्ति पर विचार करते हुए कहा है कि ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में 'स्' ध्वनि नहीं बोली जाती थी बल्कि 'स्' को 'ह्' की तर...

हिन्दी भाषा का उद्भव एवं विकास। Origin and development of Hindi language

हिन्दी भाषा का उद्भव एवं विकास हिन्दी भाषा के उद्भव एवं विकास की रूपरेखा की समझ के लिए भाषा की समझ होना अनिवार्य है। हिन्दी भाषा की सम्प्रेषणीयता और उसके सामाजिक सरोकार की समझ के लिए भी भाषा की समझ आवश्यक है। 1 भाषा: अर्थ एवं परिभाषा • भाषा क्या है ? हम भाषा का व्यवहार क्यों करते हैं ? यदि हमारे पास भाषा न होती तो हमारा जीवन कैसा होता ? भाषा का मूल उद्देश्य क्या है ? जेसे ढेरों प्रश्न गहरे विचार की माँग करते हैं। • ‘ भाषा ’ धातु से उत्पन्न भाषा का शाब्दिक अर्थ है- बोलना। शायद यह व्याख्या तब प्रचलित हुई होगी जब मनुष्य केवल बोलता था , यानी उस समय तक लिपि का आविष्कार नहीं हुआ था। प्रश्न यह है कि बिना बोले क्या मनुष्य रह सकता है ? वस्तुतः भाषा सामाजिकता का आधार है...... मनुष्य के समस्त चिंतन व उपलब्धियों का आधार है। इसका अर्थ यह नहीं है कि पशु पक्षियों के पास कोई भाषा नहीं होती , उनके पास भी भाषा होती है किन्तु वे उस भाषा का लियान्तरण नहीं कर सके हैं। भौतिक आवश्यकताओं से ऊपर का चिंतन व विकास बिना भाषा के संभव ही नहीं हे। हम भाषा में सीचते हैं..... भाषा में ही चिंतन करते हैं यदि मनुष्य से उसकी भाषा छीन ली जाये तो वह पशु तुल्य हो जायेगा। • आज अनके भाषाएँ संकट के मुहाने पर खड़ी है , दरअसल यह संकट सभ्यता व संस्कृति का भी है तो भाषा का मूल कार्य है सम्प्रेषण। जिस व्यक्ति के पास सम्प्रेषण के जितने कार हो व उतनी ही विधियाँ व पद्धतियाँ खोज लेता है। कथन के इतने प्रकार व ढंग मनुष्य के सम्प्रेषण के ही प्रकार है। सम्प्रेषण की प्रक्रिया में कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है। यानी इस प्रक्रिया में एक वक्ता और एक श्रोता का होना आवश्यक है। इस प्रक्रिया में एक तीसरा तत्व और होता है और व...

हिन्दी भाषा का उद्भव एवं विकास । भाषा: अर्थ एवं परिभाषा। Origin and development of Hindi language

हिन्दी भाषा का उद्भव एवं विकास हिन्दी भाषा के उद्भव एवं विकास की रूपरेखा की समझ के लिए भाषा की समझ होना अनिवार्य है। हिन्दी भाषा की सम्प्रेषणीयता और उसके सामाजिक सरोकार की समझ के लिए भी भाषा की समझ आवश्यक है। भाषा: अर्थ एवं परिभाषा ➧ भाषा क्या है ? हम भाषा का व्यवहार क्यों करते हैं ? यदि हमारे पास भाषा न होती तो हमारा जीवन कैसा होता ? भाषा का मूल उद्देश्य क्या है ? जेसे ढेरों प्रश्न गहरे विचार की माँग करते हैं। ➧ ' भाषा ' धातु से उत्पन्न भाषा का शाब्दिक अर्थ है- बोलना। शायद यह व्याख्या तब प्रचलित हुई होगी जब मनुष्य केवल बोलता था , यानी उस समय तक लिपि का आविष्कार नहीं हुआ था। प्रश्न यह है कि बिना बोले क्या मनुष्य रह सकता है ? ➧ वस्तुतः भाषा सामाजिकता का आधार है..... मनुष्य के समस्त चिंतन व उपलब्धियों का आधार है। इसका अर्थ यह नहीं है कि पशु पक्षियों के पास कोई भाषा नहीं होती , उनके पास भी भाषा होती है किन्तु वे उस भाषा का लियान्तरण नहीं कर सके हैं। ➧ भौतिक आवश्यकताओं से ऊपर का चिंतन व विकास बिना भाषा के संभव ही नहीं है। हम भाषा में सीचते हैं..... भाषा में ही चिंतन करते हैं यदि मनुष्य से उसकी भाषा छीन ली जाये तो वह पशु तुल्य हो जायेगा। आज अनके भाषाएँ संकट के मुहाने पर खड़ी है , दरअसल यह संकट सभ्यता व संस्कृति का भी है तो भाषा का मूल कार्य है सम्प्रेषण। ➧ जिस व्यक्ति के पास सम्प्रेषण के जितने कारण हो व उतनी ही विधियाँ व पद्धतियाँ खोज लेता है। कथन के इतने प्रकार व ढंग मनुष्य के सम्प्रेषण के ही प्रकार है। ➧ सम्प्रेषण की प्रक्रिया में कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है। यानी इस प्रक्रिया में एक वक्ता और एक श्रोता का होना आवश्यक है। इस प्रक्रिया में एक तीसरा तत्व और होता है औ...

हिंदी भाषा का उद्भव और विकास

Table of Contents • • • • भूमिका हिंदी यूरोपीय भाषा परिवार की आधुनिक काल की प्रमुख भाषाओं में से एक है जिसकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है जिसे आर्य भाषा या देव भाषा भी कहा जाता है भाषा नदी की धारा के समान चंचल होती है या रुकना नहीं जानती यदि कोई भाषा को बलपूर्वक रोकना भी चाहे तो यह उसके बंधन तोड़ आगे निकल जाती है यह भाषा की स्वाभाविक प्रवृत्ति है हिंदी भाषा के विकास के क्रम में भाषा की समायाकुल, गत्यात्मकता प्रकृति स्पष्ट रूप से देखी जा सकती| हिंदी भाषा का जन्म संस्कृत भाषा के कोख से हुआ है इसके तीन हजार पुराने इतिहास को तीन भागों में विभाजित करके हिंदी भाषा का उद्भव और विकास क्रम को निर्धारित किया जा सकता है (1) प्राचीन भारतीय आर्य भाषा: (काल: 1500 ई•पू• – 500 ई•पू•) (2) मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा: (काल: 500 ई•पू• – 1000 ई•) (3) आधुनिक भारतीय आर्य भ

हिंदी भाषा का हमारे जीवन में क्या महत्व होता है?

Hindi Bhasha ka Mahatva Par Nibandh: नमस्कार दोस्तों, आज हम यहां पर हिंदी का महत्व पर निबंध के बारे में बताने वाले है। हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसके बारे जितना लिखा जाए उतना काम ही है। इस भाषा से हम कई और भाषाओं का ज्ञान भी ले सकते हैं। यहां पर हमने हिंदी का महत्व पर निबन्ध के जरिये आपको बताने का प्रयास किया है। आप इसे अंत तक जरूर पढ़े। Hindi Bhasha Ka Mahatva Read Also: हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध • हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध | Hindi Bhasha ka Mahatva Essay In Hindi • हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (250 शब्द) • हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (1200 शब्द) • प्रस्तावना • हिंदी भाषा का विकास • हिंदी भाषा का महत्व • इं‍टरनेट युग में हिन्दी • अंतिम शब्द हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (250 शब्द) विश्व की प्राचीन और सरल भाषाओं की सूचि में हिंदी को अग्रिम स्थान मिला हैं। हिंदी भारत की मूल है। यह भाषा हमारी संस्कृति और संस्कारों की पहचान है। हिंदी भाषा हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान और गौरव प्रदान करवाती है। विश्व की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा में हिन्दी का स्थान दूसरा आता है। भारत देश में यह भाषा सबसे ज्यादा बोली जाती है इसलिए हिंदी भाषा को 14 सितम्बर 1949 के दिन अधिकारिक रूप से राजभाषा का दर्जा दिया गया। भारत ही एक ऐसा देश है, जिसकी राष्ट्रभाषा और राजभाषा एक ही है। जो यह साबित करता है की भारत देश में हिंदी का कितना महत्व है। हिंदी भाषा का जन्म लगभग एक हजार वर्ष पहले हुआ था। ऐसा माना जाता है कि हिंदी का जन्म देवभाषा संस्कृत की कोख से हुआ है।संस्कृत,पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, अवहट्ट,हिन्दी -यह हिंदी भाषा का विकास क्रम है। हिंदी एक भावात्मक भाषा है, जो लोगों के दिल को आसानी छू लेती है। हिंद...