दीपावली कितने दिन बाद है

  1. दीपावली
  2. दिवाली, दीपावली, दीपोत्सव या दीप पर्व क्या है सही नाम इस महात्योहार का, जानिए यहाँ
  3. Diwali 2023
  4. पीरियड के कितने दिन के बाद प्रेगनेंसी हो सकती है और नहीं हो सकती है
  5. Diwali 2021 When Is Diwali In 2021 Know The Date And Timing Of Lakshmi Puja
  6. दीपावली कब है महत्व इतिहास पूजा विधि और शायरी 2022


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दीपावली

विषय - सूची • • • • • • • • • 2022 का दीपावली • त्योंहार का नाम- दीपावली ‘दिवाली’ • तारिख दिन- 24 अक्टूबर, सोमवार • शुरूवात- धनतेरस 22 अक्टूबर से • समाप्त- भाईदूज 26 अक्टूबर तक क्यों दीपावली नाम पड़ा ? इस दिन दीयों की लाइन लगाकर दीपक जलाते है। इसी से इस त्योहार का नाम दीपावली पड़ा। दीपावली जो दीप से ‘दीपक’ और आवली ‘पंक्ति’से मिलकर बना है। इसे दिवाली के नाम से भी बोलते है। वैसे शुद्ध शब्द दीपावली है। इस दिन अंधरे पर दीयों की उजालों की जीत होती है। हिंदु धर्म में सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध त्योंहारो में से एक है। दीपावली को अन्य भाषाओं में अलग- अलग नामों से बोला जाता है। जैसे :- बंगाली में दीपावली, उड़िया में दीपाबाँली, तेलगू में दिवाली, हिंदी में दीवाली, पंजाबी में दियारी इत्यादि। दीपावली क्यों मनाया जाता है ? कहा जाता है की इस दिन अयोध्या के राजा श्रीराम चन्द्र जी रावण का वध कर, चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। कार्तिक मास की काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की उजालों से जगमगा उठा था। तब से यह दीपावली मनाया जाने लगा। यह भी माना जाता है कि कृष्ण ने औरतों पर अत्याचार करने वाला राक्षस नरकासुर को दीपावली से एक दिन पहले नर्क/ नरक चुतर्दर्शी को उसका वध किए थे। इसी से अगले दिन अमावस्या के दिन दीया जलाकर खुशी मनाया जाता है। सभी धर्मों में मनाने के कई कारण ? सभी धर्मो में दीपावली मानने के अलग अलग कारण बताया गया है। देश के अलग- अलग भागों में दीपावली मनाने के पीछे कई वजह है। जैसे:- हिंदू धर्म की दीवाली रामायण कथा के अनुसार हिंदू धर्म मे दीपावली रावण के बुराई का वध और श्रीराम, माता सीता, प्रभु लक्ष्मण के ...

दिवाली, दीपावली, दीपोत्सव या दीप पर्व क्या है सही नाम इस महात्योहार का, जानिए यहाँ

2. सभ्याता के विकासक्रम के चलते बाद में धन के देवता कुबेर की बजाय धन की देवी लक्ष्मी की इस अवसर पर पूजा होने लगी, क्योंकि कुबेर जी की मान्यता सिर्फ यक्ष जातियों में थी पर लक्ष्मीजी की देव तथा मानव जातियों में मान्यता थी। दीपावली के साथ लक्ष्मी पूजन के जुड़ने का कारण लक्ष्मी और विष्णुजी का इसी दिन विवाह सम्पन्न होना भी माना गया है। 5. कहते हैं कि दीपावली का पर्व सबसे पहले राजा महाबली के काल से प्रारंभ हुआ था। विष्णु ने तीन पग में तीनों लोकों को नाप लिया। राजा बली की दानशीलता से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का राज्य दे दिया, साथ ही यह भी आश्वासन दिया कि उनकी याद में भू लोकवासी प्रत्येक वर्ष दीपावली मनाएंगे। तभी से दीपोत्सव का पर्व प्रारंभ हुआ। 7. कहते हैं कि भगवान श्रीराम अपना 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद पुन: लौट आए थे। कहते हैं कि वे सीधे अयोध्या न जाते हुए पहले नंदीग्राम गए थे और वहां कुछ दिन रुकने के बाद दीपावली के दिन उन्होंने अयोध्या में प्रवेश किया था। इस दौरान उनके लिए खासतौर पर नगर को दीपों से सजाया गया था। तभी से दिवाली के दिन दीपोत्सव मनाने का प्रचलन हुआ। 8. ऐसा कहा जाता है कि दीपावली के एक दिन पहले श्रीकृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया था जिसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इसी खुशी में अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं। दूसरी घटना श्रीकृष्ण द्वारा सत्यभामा के लिए पारिजात वृक्ष लाने से जुड़ी है। श्री कृष्ण ने इंद्र पूजा का विरोध करके गोवर्धन पूजा के रूप में अन्नकूट की परंपरा प्रारंभ की थी। 9. राक्षसों का वध करने के लिए मां देवी ने महाकाली का रूप धारण किया। राक्षसों का वध करने के बाद भी जब महाकाली का क्रोध कम नही...

Diwali 2023

दीपों का पर्व दीपावली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा एवं प्रसिद्ध त्यौहार है जो हिन्दुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व भारतवासियों के लिए महत्वपूर्ण त्यौहार है जो भारत सहित दुनियाभर में उमंग, जोश तथा उत्साह से मनाया जाता है। दिवाली के त्यौहार की धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से अपनी विशिष्ट महत्ता है। इस पर्व के दौरान निरंतर पांच दिनों तक अलग-अलग त्यौहारों को मनाया जाता हैं जो इस प्रकार है: प्रथम दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी, तीसरे दिन दीपावली, चौथे दिन गोवर्धन और पांचवें व अंतिम दिन भैया दूज आदि। दिवाली 2023 की तिथि एवं मुहूर्त दीपावली शरद ऋतु में मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिन्दू त्यौहार है जिसमे ‘दीप का अर्थ है "रोशनी" और ‘वली का अर्थ है पंक्ति’, अर्थात रोशनी की एक पंक्ति। हिन्दू पंचांग के अनुसार, दीपावली को प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को दिवाली या दीप उत्सव भी कहा जाता है। दीपावली की लक्ष्मी पूजा विधि • सर्वप्रथम पूजा स्थल पर चौकी स्थापित रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। • अब चौकी पर माँ लक्ष्मी, देवी सरस्वती और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। • भगवान विष्णु, कुबेर और इंद्र देव के लिए माता लक्ष्मी के समक्ष कच्चे चावल से 3 ढेरी का निर्माण करें। • लक्ष्मी पूजा का आरम्भ करने के लिए दीपक प्रज्जवलित करें व रात भर दीपक जलाकर रखें। इसके अलावा धूप बत्ती दिखाएं। • लक्ष्मी पूजा के दौरान श्रीगणेश का आवहान करें और गणेशजी की मूर्ति पर रोली व अक्षत का तिलक करें। • इसके बाद भगवान गणेश को सुगंध, फूल, धूप, मिठाई (नैवेद्य) और मिट्टी के दीपक अर्पित करें। • गणेश जी के बाद लक्ष्मी पूजन करें और माँ लक्ष्मी का रोली और चावल से तिलक करें। माता लक्ष्मी...

पीरियड के कितने दिन के बाद प्रेगनेंसी हो सकती है और नहीं हो सकती है

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Diwali 2021 When Is Diwali In 2021 Know The Date And Timing Of Lakshmi Puja

Diwali 2021 Date: दिवाली का पर्व पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. वर्ष 2021 में कार्तिक अमावस्या की तिथि 04 नवंबर, गुरुवार को है. दिवाली का पर्व सुख, समृद्धि और वैभव का प्रतीक है. दिवाली के पर्व पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि दिवाली पर विधि पूर्वक लक्ष्मी जी की पूजा करने से जीवन में यश-वैभव बना रहता है और जीवन में धन की कमी दूर होती है. 2021 में दिवाली कब है? (When is Diwali in 2021) दिवाली: 4नवंबर, 2021, गुरुवार अमावस्या तिथि प्रारम्भ: नवंबर 04, 2021 को प्रात: 06:03 बजे से. अमावस्या तिथि समाप्त: नवंबर 05, 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक. दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट अवधि: 1 घंटे 55 मिनट प्रदोष काल: 17:34:09 से 20:10:27 तक वृषभ काल: 18:10:29 से 20:06:20 तक दिवाली पर निशिता काल मुहूर्त निशिता काल: 23:39 से 00:31, नवम्बर 05 सिंह लग्न: 00:39 से 02:56, नवम्बर 05 दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त प्रात:काल मुहूर्त: 06:34:53 से 07:57:17 तक प्रात:काल मुहूर्त: 10:42:06 से 14:49:20 तक सायंकाल मुहूर्त: 16:11:45 से 20:49:31 तक रात्रि मुहूर्त: 24:04:53 से 25:42:34 तक लक्ष्मी पूजन की विधि (Diwali 2021 Lakshmi Pujan) दिवाली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी जी की पूजा विधि पूर्वक करनी चाहिए. इस वर्ष दिवाली पर्व प्रदोषयुक्त अमावस्या तिथि और स्थिर लग्न और स्थिर नवांश है. शास्त्रों के अनुसार इन मुहूर्त में लक्ष्मी जी का पूजन करना शुभ माना गया है. इस दिन स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूरे मनोयोग के साथ पूजा अर्चना करनी चाहिए. पूजा के बाद लक्ष्मी जी की आरती और मंत्रों का जाप करना ...

दीपावली कब है महत्व इतिहास पूजा विधि और शायरी 2022

दीपावली कब है महत्व इतिहास पूजा विधि और शायरी 2022 Deepawali Kab Hai Importance History Lakshmi Poojan vidhi And Shayari In Hindi प्राचीन हिन्दू वर्ण व्यवस्था में चार प्रकार के वर्ण माने गये थे. जिनके अपने अपने व्रत एवं त्यौहार थे. वर्ण व्यवस्था कमजोर पड़ने के कारण धीरे धीरे इन्हे सभी मनाते है. जिनमे दीपावली का त्यौहार मुख्य है. वैसे तो यह वैश्य वर्ण का पर्व था मगर आज भारत के सभी धर्मो के लोग दिवाली को हर्षोल्लास के साथ मिलकर मनाते है.वर्ष 2022 में दीपावली कब है इसकी katha मनाने का महत्व लक्ष्मी पूजन पूजा विधि और मित्रों व रिश्तेदारों को इस पर्व की अग्रिम शुभकामना प्रेषित करने के लिए शायरी SMS नीचें दिए जा रहे है. दीपावली कब है महत्व इतिहास पूजा विधि और शायरी 2022 दीपावली का शाब्दिक अर्थ होता है दीपों की पक्ति. दिवाली के दिन लोग अपने घरों में और घरों के बाहर की दीवार को दीपकों से सजाते है. इस कारण इसे दीपोत्सव भी कहा जाता है. यह त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महिने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है. इस दिन धन दौलत और एश्वर्य की देवी मानी जाने वाली माँ लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है. 2022 Deepawali Kab Hai (दीपावली कब है) दिवाली का पर्व मुख्यतः 5 दिन का होता है. जो धनतेरस से आरम्भ होकर भैया दूज तक चलता है मगर कुछ राज्यों में इसे धनतेरस के एक दिन पूर्व बारस से ही गोवत्स के साथ आरम्भ किया जाता है. इन सभी में अमावस्या का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है तथा इसी दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष 24 अक्टूबर 2022 को दीवाली का पर्व है. इस पांच दिवसीय त्यौहार की बात करे तो 22 अक्टूबर के दिन धनतेरस का दिन है. इसके अगले दिन 23 अक्टूबर को नरक चतुर्थी का पर्व है...