डॉ भीमराव आंबेडकर फोटो hd

  1. B.R. Ambedkar Family: अपने माता पिता की 14वीं संतान थे भीमराव, 9 भाई बहनों की हो गई थी अकाल मृत्यु, पिता करते थे फौज में नौकरी
  2. हिंदू धर्म छोड़ने के 21 साल बाद क्यों बौद्ध बने थे डॉ. अंबेडकर
  3. जय भीम फोटो 2022 – Jay Bheem photo, Jai bheem Images, Wallpapers, Pics HD Download for WhatsApp – Hindi Jaankaari
  4. सामाजिक समरसता के सूत्रधार थे डॉ. भीमराव अम्बेडकर
  5. Ramabai Ambedkar Death Anniversary: भीमराव को बासाहेब बनाने में रमाबाई की थी अहम भूमिका, प्यार से 'रामू' बुलाते थे आंबेडकर
  6. File:Dr. Bhimrao Ambedkar.jpg


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B.R. Ambedkar Family: अपने माता पिता की 14वीं संतान थे भीमराव, 9 भाई बहनों की हो गई थी अकाल मृत्यु, पिता करते थे फौज में नौकरी

Dr. B.R. Ambedkar Family History: आज संविधान निर्माता कहे जाने वाले बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती है. उनका पूरा नाम भीमराव रामजी आंबेडकर है. 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में इंदौर के निकट महू छावनी में एक महार परिवार में हुआ था, जबकि उनका पैतृक गांव महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में मंडणगढ़ तहसील अंतर्गत आम्ब्रावेडे है. उनके पिता का नाम रामजी राव और दादा का नाम मालोजी सकपाल था. 20 नवम्बर, 1896 में मात्र 5 वर्ष की आयु में ही मां का साया उनके सिर से उठ गया था. इसके बाद उनकी बुआ मीरा ने चारों बहन-भाइयों की देखभाल की. बचपन से ही भीमराव कुशाग्र बुद्धि के थे. वे पढ़ने में बहुत तेज थे. उनकी अनूठी प्रतिभा से प्रभावित होकर एक चहेते ब्राह्मण शिक्षक ने उन्हें ‘अंबेडकर’ उपनाम दिया, जो आगे चलकर उनके मूल नाम का अभिन्न हिस्सा बन गया.

हिंदू धर्म छोड़ने के 21 साल बाद क्यों बौद्ध बने थे डॉ. अंबेडकर

अंबेडकर हिंदू धर्म (Hinduism) छोड़कर बौद्ध क्यों बने? ये सवाल अब भी अक्सर चर्चाओं में रहता है. दरअसल अंबेडकर कई सालों तक इस बारे में सोचते रहे. बौद्ध धर्म से वो बहुत पहले से ही प्रभावित होने लगे थे. लेकिन फैसले तक पहुंचने में उन्होंने लंबा समय यानि कई साल लिए. फिर अपने 3.85 लाख समर्थकों के साथ हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया. हालांकि वो अपने भाषणों में इस बारे में बातें 20 साल पहले से करने लगे थे. कहानी की शुरूआत राजनेता और समाज सुधारक आप एक सम्मानजनक जीवन चाहते हैं तो आपको अपनी मदद खुद (Self Help) करनी होगी और यही सबसे सही मदद होगी... अगर आप आत्मसम्मान चाहते हैं, तो धर्म बदलिए. अगर एक सहयोगी समाज चाहते हैं, तो धर्म बदलिए. अगर ताकत और सत्ता चाहते हैं, तो धर्म बदलिए. समानता (Equality).. स्वराज (Independence).. और एक ऐसी दुनिया बनाना चाहते हैं, जिसमें खुशी खुशी जी सकें तो धर्म बदलिए. गांधी भी थे अंबेडकर की बातों से असहमत ये भाषण इस कदर उकसाने वाला समझा गया कि पहली बार अंबेडकर को क्षेत्रीय नहीं बल्कि मुख्यधारा के नेता की हैसियत मिली. साथ ही कई नेता उनके विरोध में आ गए. देश की 20 फीसदी से ज़्यादा आबादी को भड़काने के आरोप अंबेडकर पर लगातार लगे लेकिन उन्होंने साफ कहा 'जो शोषित हैं, उनके लिए धर्म को नियति का नहीं बल्कि चुनाव का विषय मानना चाहिए'. ये बातें जब महात्मा गांधी तक पहुंचीं तो उन्होंने इस बात से ऐतराज़ किया. पढ़ें : क्या एक दूसरे के पूरक थे गांधी और अंबेडकर? गांधी ने कहा था 'धर्म न तो कोई मकान है और न ही कोई चोगा, जिसे उतारा या बदला जा सकता है. यह किसी भी व्यक्ति के साथ उसके शरीर से भी ज़्यादा जुड़ा हुआ है'. गांधी का विचार था कि समाज सुधार के रास्ते और सोच ब...

जय भीम फोटो 2022 – Jay Bheem photo, Jai bheem Images, Wallpapers, Pics HD Download for WhatsApp – Hindi Jaankaari

Ambedkar Jayanti 2022 : डॉ भीम राओ आंबेडकर आजाद भारत के अर्थशास्त्री, राजनेता, समाज सुधारक थे| उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 में महू, इंदौर जिला, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था| आजाद भारत के संविधान को लिखने में उनका बहुत योगदान था| उनको हम सब बाबा साहिब के नाम से भी जानते है| वे प्रथम ऐसे इंसान थे जिन्होंने दलितों के खिलाफ भेद भाव के खिलाफ राजनितिक तौर पर आवाज़ उठाई थी| बाबा साहिब ने दलित बुद्ध आंदोलन में अपना समर्थन दिया और लोगो को उसमे शामिल होने के लिए प्रेरित भी किया| आज के इस पोस्ट में हम आपको जय भीम के नारे, जय भीम स्टेटस फोटो, जय भीम शायरी पिक्चर, भीम राओ इमेजेज, आदि की जानकारी देंगे| जय भीम इमेजेज 2022 आज हम आपके सामने पेश करने जा रहे हैं dr babasaheb ambedkar jayanti images, ambedkar hd photos free download, dr babasaheb ambedkar, jay bhim photo hd download, जय भिम फोटो, baba saheb ka photo, babasaheb ambedkar image, bhim jayanti 127 images, images of dr. babasaheb ambedkar jayanti आदि जिसे आप facebook, whatsapp व instagram पर शेयर कर सकते हैं| कर गुजर गये वो भीम थे, दुनिया को जगाने वाले भीम थे, हमने तो सिर्फ इतिहास पढा है यारो, इतिहास बनाने वाले मेरे भीम थे। जय भिम शायरी फोटो यह दिन Agra, Meerut, UP, Punjab, Haryana, Himachal Pradesh, Jammu Kashmir, Bihar, Chhattisgarh, Delhi, Gujarat, Haryana, Jharkhand, Karnataka, mumbai, pune, Maharashtra, Meghalaya, Madhya pradesh, Punjab, Rajasthan, Tamil Nadu, Uttarakhand, Uttar Pradesh, सहित अन्य राज्यों में मनाया जाता है|साथ ही इस दिन पर आप है ये सारा जहाँ जिनकी शरण में हमारा है नमन उन बाबा के चरण में है पूजा के योग्य बाबा हम सब...

सामाजिक समरसता के सूत्रधार थे डॉ. भीमराव अम्बेडकर

सत्य का ज्ञान होना ही बुद्धत्व है। बुद्ध बनना ही बोधिसत्व के जीवन की पराकाष्ठा है। बुद्धत्व प्राप्त करने वालों को बोधिसत्व माना जाता है। बोधिसत्व संस्कृत भाषा का शब्द है। पाली भाषा में बोधिसत्त कहा जाता है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर को बोधिसत्व की उपाधि मिली थी। यह उपाधि गौतम बुद्ध (शाक्यवंशी क्षत्रिय) के बाद, डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर को दी गई। नेपाल के काठमांडू में सन् 1954 ई. में “जागतिक बौद्ध धर्म परिषद” में बौद्ध भिक्षुओं नें डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को “बोधीसत्त्व” की उपाधि से नवाजा था। ख़ास बात यह रही कि डॉ.अम्बेडकर को जीवित रहते ही बोधिसत्त की उपाधि से नवाजा गया। बौद्ध धर्म में बोधिसत्त सर्वोत्तम उपाधि है। भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपनी सारी जिंदगी भारतीय समाज में बनाई गई जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष में गुजार दी। डॉ. अंबेडकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'भारत रत्न' से भी सम्मानित किया गया था। डॉ. भीमराव अम्बेडकर को उनके सम्मान में बाबा साहब भी कहा जाता है। डॉ. भीमराव का सरनेम पहले ‘सकपाल’ था। बाद में उनका सरनेम अम्बेडकर हुआ, जिसके बाद उनका पूरा नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर लिखा जाने लगा। डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के छोटे से गांव महू में हुआ था। 6 दिसंबर 1956 को 65 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था। बाबा साहब के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमा बाई था। इस वजह से शुरू में उनका सरनेम सकपाल था। बाबा साहब का जन्म महार जाति में हुआ था, जिसे उस समय लोग अछूत और निचली जाति का मानते थे। अपनी जाति के कारण उन्हें सामाजिक दुराव भी सहन करना पड़ता था। प्रतिभाशाली होने के बावजूद स्कूल में उनको छुआ-छूत के कारण अनेक क...

Ramabai Ambedkar Death Anniversary: भीमराव को बासाहेब बनाने में रमाबाई की थी अहम भूमिका, प्यार से 'रामू' बुलाते थे आंबेडकर

Ramabai Ambedkar Death Anniversary: भीमराव को बासाहेब बनाने में रमाबाई की थी अहम भूमिका, प्यार से ‘रामू’ बुलाते थे आंबेडकर Ramabai Ambedkar: अपनी किताब "थॉट्स ऑन पाकिस्तान" को डॉ आंबेडकर ने रमाबाई को समर्पित करते हुए लिखा है कि उन्हें मामूली व्यक्ति से बाबासाहेब अंबेडकर बनाने का श्रेय रमाबाई को ही जाता है. Ramabai Bhimrao Ambedkar: देश के पहले कानून मंत्री और संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर को भला कौन नहीं जानता! बचपन से ही भेदभाव झेलने वाले आंबेडकर के जीवन में कम चुनौतियां नहीं आईं, लेकिन उन्होंने हर चुनौती का सामना करते हुए खुद को साबित किया. डॉ भीमराव आंबेडकर ने दबे-पिछले समाज के उद्धार के लिए इतना कुछ किया कि उन्हें बाबासाहब की उपाधि दी गई. इसके पीछे हर कदम पर साथ देने वाली उनकी पत्नी रमाबाई आंबेडकर का भी अहम योगदान रहा. आज रमाबाई की पुण्‍यतिथि है. महज 15 वर्ष की उम्र में ही भीमराव आंबेडकर की शादी हो गई थी. अपनी किताब "थॉट्स ऑन पाकिस्तान" (Thoughts on Pakistan) को डॉ आंबेडकर ने रमाबाई को समर्पित करते हुए लिखा है कि उन्हें मामूली व्यक्ति से बाबासाहेब अंबेडकर बनाने का श्रेय रमाबाई को ही जाता है, जो हर हालात में उनके साथ रहीं. उनकी ही वजह से आंबेडकर बाहर जाकर अपनी पढ़ाई पूरी कर पाए. रमाबाई को लोगों के खूब तानें सुनने को मिलते थे. वह हर छोटा-बड़ा काम कर आजीविका चलाती रहीं और घर को संभाले रखा. शादी के तुरंत बाद रमाबाई समझ चुकी थीं कि दलित-पिछड़ों का उद्धार शिक्षा से ही संभव है. वह जानती थीं कि डॉ भीमराव शिक्षित होंगे तभी पूरे समाज को भी शिक्षा के प्रति जागरूक कर पाएंगे. इसलिए डॉ आंबेडकर की पढ़ाई का खर्च जुटाने में भी उन्होंने मदद की. 7 फरवरी 1898 को जन्मी रमाबाई के माता-...

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