Bhartiya rashtriya congress ki sthapna kab hui thi

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विकास
  2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्य?
  3. भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई थी?
  4. भारत छोड़ो आन्दोलन


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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विकास

उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकी स्थापना दिसम्बर , 1885 में की गई। इसकी स्थापना से 20 वर्ष तक का काल ( 1885-1905) उदारवादी राष्ट्रीयता का युग माना जाता है। इस अवधि में कांग्रेस का नेतृत्व सुरेन्द्रनाथ बनर्जी , दादाभाई नौरोजी , फिरोजशाह मेहता , बदरुद्दीन तय्यबजीआदि ने किया। इन्होंने संवैधानिक साधनों के द्वारा राष्ट्रीय आन्दोलनको गति और दिशा प्रदान की। इन नेताओं के हृदय में ब्रिटिश सरकार के प्रति राजभक्ति की भावना थी तथा ब्रिटिश सरकार की न्यायप्रियता तथा ईमानदारी में उन्हें पूरा विश्वास था , इसीलिए इस काल को ' उदारवादी युग ' कहा जाता है। (4) 1861 ई. में स्थापित विधान परिषदों का सुधार व विस्तार किया जाए। कालान्तर में कांग्रेस ने जो और माँगें रखीं , वे इस प्रकार थीं ( 1) न्याय और शासन विभाग अलग-अलग हों। ( 2) भारतीयों को सैनिक प्रशिक्षण दिया जाए। ( 3) प्रशासनिक व्ययों में कमी की जाए। ( 4) भारतीय उद्योगों को संरक्षण प्रदान किया जाए। ( 5) उच्च पदों पर भारतीयों को भी नियुक्त किया जाए। ( 6) समाचार-पत्रों पर से प्रतिबन्ध हटाया जाए। ( 1) क्रमिक सुधारों में विश्वास – कांग्रेस के प्रारम्भिक नेता भारतीय प्रशासन में क्रमिक सुधारों के समर्थक थे। उनका विचार था कि भारतीयों को अपने देश के प्रशासन में धीरे-धीरे भाग लेने का अवसर मिलना चाहिए। इन नेताओं की धारणा थी कि उस समय ऐसे व्यक्ति उपलब्ध नहीं थे जिनके हाथों में देश के प्रशासन को पूरी तरह सौंप दिया जाता। यही कारण है कि कांग्रेस ने पहले अधिवेशन में ही सरकार से यह माँग की थी कि भारतीय प्रशासन में क्रमिक सुधार किए जाएँ। आर. जी. प्रधान ने लिखा है , " कांग्रेस के प्रारम्भिक नेता , आदर्शवादी न होकर यथार्थवादी थे। वे क्रमिक सुधारों में विश्वास क...

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्य?

प्रथम एक अवकाश प्राप्त ऐलन आक्टेवियन हृयूम के मस्तिष्क में कांग्रेस की स्थापना का विचार आया, कि शिक्षित भारतीय कम से कम वर्ष में एक बार विचार विमर्श हेतु एक मंच पर संगठित हो। मार्च 1883 ई. में हृयूम ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातकों को देष में बलिदान करने के लिये एक पत्र भेजा। उन्होने इग्लैण्ड जाकर लार्ड रिपन, जाॅन ब्राईट आदि से विचार विनिमय किया। अतः विचार विमर्श के बाद उसने यह निश्चित किया और कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 28 दिसम्बर 1885 ई के दिन 11 बजे गोकुलदास तेजपाल संस्कृत काॅलेज के भवन में हुआ। जिसकी अध्यक्षता वोमेष चन्द्र बनर्जी द्वारा की गई। इसी अधिवेशन में भारत के अनेक प्रसिद्ध व्यक्ति - दादाभाई नैरोजी, फिरोजषाह मेहता, दीनसा एदलशी वाचा, काषीनाथ तैलंग, नारायण गणेष चन्द्रावरकर, पी. आनन्दाचार्लू, वीराघ्ावाचार्य, सुब्रामन्यम आदि उपस्थित थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापनाभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी एलन आक्टोवियन ह्यमू द्वारा सन् 1885 ई0 में की गयी थी। ए ओ ह्यूम का पूरा नाम एलन आक्टोवियन ह्यमू था।1907 ई0 तक कांग्रेस का उद्देश्य भारतीयों को औपनिवेषिक स्वायत्तता दिलाने के लिए विदेशी शासन पर दबाव डालना मात्र था। 1907 से 1919 तक कांग्रेस दो विरोधी विचारधाराओं (उदारवादियों एवं उग्रवादियों) में विभक्त रही। 1920 ई0 से 1947 ई0 तक कांग्रेस महात्मा गाधीं के नेतृत्व में और उन्हीं की अनुगामी रही। कांग्रेस की प्रकृति और समर्थन को स्पष्ट करते हुए 15 सितम्बर 1931 में महात्मा गाधीं ने‘लन्दन फेडरल स्ट्रक्चर कमेटी’ में भाषण के दौरान कहा था कि‘‘कांग्रेस मूलतः भारत में सात लाख गांवों में बसे मूक, अधभूखे करोड़ों लोगों का प्रतिनिधित्व करती है चाह...

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई थी?

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार स्थापना के बाद रिजर्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय शुरू में कोलकाता में स्थापित किया गया था जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित किया गया। केंद्रीय कार्यालय वह कार्यालय है जहां गवर्नर बैठते हैं और जहां नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं। पहले यह बैंक निजी स्वमित्व वाला था, किन्तु वर्ष 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वमित्व है। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में एक गवर्नर के साथ चार डिप्टी गवर्नरो को नियुक्त किया जाता है। Tags : पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना 12 अप्रैल 1895 को लाहौर में हुई थी। लाला लाजपत राय के नेतृत्व में हुए स्वदेशी आंदोलन के एक हिस्से के रूप में स्थापित इस बैंक के सरदार दयाल सिंह मजीठिया, लाला हरकिशन लाल, लाला लाल चंद और लाला ढोलन दास फाउंडर मेंबर्स थे। 12 • राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के वर्तमान अध्यक्ष कौन है?

भारत छोड़ो आन्दोलन

vivaran shuruat moolamantr 'karo ya maro' parinam 'bharat chho do andolan' bharat ko svatantr bhale n karava paya ho, lekin isaka dooragami parinam sukhadayi raha. isalie ise "bharat ki svadhinata ke lie kiya jane vala antim mahanh prayas" kaha gaya. alochana tatkalin bharatiy rajanitik daloan mean 'samyavadi dal' ne is andolan ki alochana ki. any janakari bharat chho do andolan svatantrata ki mahanh l daee 'bharat chho do andolan' ya 'agast kranti bharatiy svatantrata andolan' ki antim mahanh l daee thi, jisane british shasan ki nianv ko hilakar rakh diya. krips mishan ke khali hath bharat se vapas jane par bharatiyoan ko apani chhale jane ka ahasas hua. doosari or doosare vishvayuddh ke karan paristhitiyaan atyadhik gambhir hoti ja rahi thian. krips mishan ka agaman is samay dvitiy vishvayuddh chhi d chuka tha, aur isamean british faujoan ki dakshin-poorv krips mishan ki asaphalata ke bad 'bharatiy neshanal kaangres kameti' ki baithak vardha prastav akhil bharatiy kaangres ki baithak andolan ke dauran 8 agast, 1942 ee. ko 'akhil bharatiy kaangres' ki baithak moolamantr 'karo ya maro' kaangres ke is aitihasik sammelan mean mahatma gaandhi ne lagabhag 70 minat tak bhashan diya. apane sanbodhan mean unhoanne kaha ki "maian apako ek mantr deta hooan, karo ya maro, jisaka arth tha- bharat ki janata desh ki azadi ke lie har dhang ka prayatn kare. gaandhi ji ke bare mean "ek desh tab tak azad nahian ho sakata, jab tak ki usamean rahane vale log ek-doosare par bharosa nahian kar...